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GOGOGOGOGOGOGOGOGOG@GOGOG@GOGOG@GOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOG 2. सूयगडांग (सूयगड) : पिता समान, बांया अंग समान । प्रमाण : 36,000 पद, 21,000 श्लोक।
श्रुतस्कंध : (1) गाथा षोडशक-16 अध्ययन (2) आर्द्रकुमार-गोशाला विषय में आदि।
वर्णन : 363 पाखंडी विरोध के, ऋषभदेव के 98 पुत्रों के प्रश्न-समाधान, महावीर के गुणों के विषय में।
3. (ठाणांग) स्थानांग :- दाहिनी पिंडली समान, प्रमाण - 72,000 पद, 3700 श्लोक। श्रुत स्कंध - (1) 10 अध्ययन है।
वर्णन - 1 से 10 अंक में आती, जगत के द्रव्य की यादी, 9 आत्माओं ने तीर्थंकर नामकर्म बांधे, वे हैं श्रेणिक सुलसा आदि, जैन भूगोल।
4. समवायांग :- बांयी पिंडली समान । प्रमाण - श्रुतस्कंध - 2 : (1) अध्ययन में कुल 135 सूत्र हैं (2) 12 अंगों का संक्षिप्त स्वरूप।
वर्णन - 1 से 100, 200, 300, 400, 1 लाख, 10 लाख सागरोपम स्थिति पदार्थों की यादी भगवान महावीर ने प्ररुपित की है।
5. भगवती :- (व्याख्या प्रज्ञप्ति, विवाह पन्नति) प्रमाण : 2,66,000 पद, 41 शतक, 100 अध्ययन, 1000 उद्देशा। श्रुतस्कंध - 2 : दाहिनी जंघा समान, जयकुंजर हाथी से सूत्र की समानता। वर्णन :- 36,000 प्रश्न, जयंती श्राविका के प्रश्न, अन्य प्रश्न । 6. ज्ञाता धर्म कथांग (नाया धम्मकहा) :- बांयी जंघा समान।
श्रुत स्कंध - 2 :- (1) ज्ञाता श्रुत स्कंध - 19 अध्ययन, (2) धर्मकथा, श्रुतस्कंध-10 वर्ग, द्रौपदी ने जिनपूजा की उसका अधिकार, इन्द्र-इन्द्राणियों के वृतांत । 50@G©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®© 363 90GOG©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©