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________________ IIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII वर्णन :- ढाई दिन हाथी के भव में मेघकुमार, रूपक कथाएं, मल्लिनाथ भगवान का जीवनदर्शन, नंद मणियार का जीवन वृत्तांत । 7. उपासक दशांग (उवासग दशा) :- दाहिने कंधे समान उपासक :- श्रावक-10। प्रमाण : 57,600 पद, 812 श्लोक। श्रुतस्कंध - 2, प्रथम अध्ययन, आनंद श्रावक, दूसरे से 8 अध्ययन-कामदेव श्रावक आदि को चलायमान करने के लिए देवों द्वारा उपसर्ग, आनंद, कुंडकौलिक, तेतलि पिता, नंदिनी पिता को देवों के उपसर्ग नहीं हुए। वर्णन :- आनंद आदि 10 श्रावकों का अधिकार, कामदेव, सद्दाल पुत्र । 8. अंतकृत दशांग (अंतगड़ दशा) :- 8 वर्ग, 82 अध्ययन, बांये कंधे समान । प्रमाण - 11,52,000 पद, 850 श्लोक। श्रुत स्कंध :- (1) श्रेणिक की रानी, महासेना, कृष्ण-100 ओली (2) श्मशान में काउसग्ग ध्यान गजसुकुमाल का जीवन वृत्त (3) अइमुत्ता मुनि और अर्जुन माली। वर्णन - अंतकृत केवलज्ञान प्राप्त कर तुरंत आयु पूर्ण कर 8 कर्म को क्षय करके सिद्ध हुए, यादव वेष विभूषण, श्री अंधक विष्णु के गौतम आदि 8 पुत्र शत्रुजय पर अंतकृत। 9. अनुत्तरोपपातिक दशांग :- (अनुसरो ववाई दशा) 3 वर्ग, 33 अध्ययन, दाहिनी भुजा समान। प्रमाण - 23,04,000 पद। श्रुतस्कंध - भगवान महावीर ने अपनी धर्म पर्षदा में प्रशंसा की धन्ना कांकदी अणगार, 8 माह की चारित्र पर्याय में छ? के पारणे आयंबिल। वर्णन - श्रेणिक की रानी धारिणी के जाली आदि 7 पुत्र । चेल्लणां का वेहल्ल, वेण 2 पुत्र, नंदा रानी के पुत्र अभयकुमार का चरित्र । ७०७७०७000000000003645050905050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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