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________________ २७०७090909009009009090050७०७09090090909050७०७090७०७७०७०७ श्रेणिक राजा को सम्यक्त्व की प्राप्ति राजगृही नगर में मंडित कुक्षी नामक एक मनोहर उद्यान था । यह मगध के राजा श्रेणिक का प्रिय उद्यान था। दूर वृक्ष के नीचे युवान मुनि ने सुखासन में स्थिर बैठे हुए किसी व्यक्ति को देखा । उसके मुख का तेज कुछ अगम्य था । श्रेणिक राजा तीन प्रदक्षिणा देकर नम्र भाव में खड़े रहे । ध्यानपूर्ण होते मुनि ने देखा । धर्मलाभ कहा । श्रेणिक ने प्रश्न पूछने की आज्ञा मांगी। मुनि ने कहा, बातें दो प्रकार की होती हैं - सदोष और निर्दोष। सदोष - भक्तकथा, स्त्रीकथा, देशकथा, राजकथा की बातें। निर्दोष - ज्ञान की वृद्धि हो, श्रद्धा की पुष्टि हो ऐसी बातें पूछना हो तो पूछो। श्रेणिक ने पूछा - किन बलवानों कारणों से आप त्याग मार्ग की ओर आकर्षित हुए? मुनि ने कहा - मैं अनाथ था, इस हेतु संयम ग्रहण किया। श्रेणिक - मैं आपका नाथ बनने को तैयार हूँ, राजमहल पधारो। मुनि - जो आपके अधिकार में नहीं है वह आप कैसे दे पाओगे ? आप स्वयं ही अनाथ हो । चन्द्र उष्णता को दे सकता है ? सूर्य शीतलता को दे सकता है ? श्रेणिक - मैं अंग एवं मगध का राजा श्रेणिक हूँ। मेरे राज्य में हजारों कस्बे, लाखों गांव हैं। हजारों हाथी-घोडे, असंख्य सैनिक एवं रथों के स्वामी, रूपाली स्त्रियों से भरा हुआ अंत:पुर, 500 मंत्री हैं। मुनि - मैं जानता हूँ तभी तो कहता हूँ कि आप अनाथ हो । श्रेणिक - इस प्रकार मिथ्या वचन का उच्चार न करें। मुझे कहें मैं किस प्रकार अनाथ हूँ। मुनि - मेरे पूर्व भव का कुछ भाग तुम्हें बताता हूँ। जिससे आपको समझ में आएगा। छठे तीर्थंकर पद्मप्रभु से पावन बनी कौशांबी नगरी में मेरे माता-पिता रहते थे । प्रभूर्व धन संचय था । मैं लाड़ला पुत्र था । युवान होने पर सुंदर कुलवती कन्या के साथ लग्न हुआ। अत्यंत खुशी के साथ जीवन यापन करता था। GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOOGO90 343 90GOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGe
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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