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©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©® दी। उधर से ज्ञानी महात्मा निकले । मस्तक मुंडाया था। महेश्वर दत्त ने पूछा क्यों मस्तक मुंडाया है ? सुनेगा क्या ? हाँ ?
हे भद्र ! आज तेरे पिता का श्राद्ध है ना ? हाँ । पाड़े का वध ? यह तेरे पिता थे। कुत्ती यह तेरी माता है । तेरा पुत्र यह गांगीला के साथ रहा हुआ परपुरुष है।
वह देह नहीं पर आत्मा । महल एवं महल में रहने वाले जुदा हैं । जैसे म्यान एवं तलवार। महात्मा ने कल्याण का मार्ग बताया एवं महेश्वर दत्त को संसार पर धिक्कार आने पर कल्याण मार्ग द्वारा आत्मा का कल्याण किया। * भरत चक्रवर्ती - * बाहुबली - भरत के छोटे भाई, असाधारण बाहुबल । 'वीरा गज थकी नीचे उतरो' इन
शब्दों ने केवलज्ञान दिलाया। * अभयकुमार - श्रेणिक राजा के पुत्र, माता-सुनंदा, मुख्यमंत्री-असाधारण
बुद्धिशाली। * ढंढणकुमार - श्रीकृष्ण की ढंढणा रानी के पुत्र । * श्री यक - शकडाल मंत्री के पुत्र, स्थुलिभद्र के लघु भ्राता। * अतिमुक्त मुनि - पिता - विजयराजा, माता - श्रीमती रानी, छ: वर्ष दीक्षा। * नागदत्त - यज्ञदत्त तथा धनश्री सेठानी के पुत्र, सत्य के प्रभाव से शूली का सिंहासन।
किसी की वस्तु कभी नहीं लेते। * नागदत्त (2) - देवदत्ता के पुत्र, नाग की क्रीड़ा में अति प्रवीण थे। * मेतार्यमुनि - चांडाल के वहाँ जन्मे थे। श्रेणिक के जमाई थे। 28 वर्ष दीक्षा । सोनी ने
चमड़े की वाघर (मेढ़) बांधी जवला की चोरी का अभ्याख्यान, असाध्य पीड़ा में आंखे
बाहर, समभाव से सहन किया, केवलज्ञान। * स्थूलभद्र - शकडाल मंत्री के ज्येष्ठ पुत्र, कोशा गणिका से मोहित हुए। * वज्रस्वामी - पिता धनगीरी, माता सुनंदा, पिता की उनके जन्म पूर्व दीक्षा ।
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