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________________ ©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®OG सर्वथा सहु सुखी थाओ, समता सहु समाचरो, सर्वत्र दिव्यता व्यापो, सर्वत्र शांति विस्तरो । मोक्ष का स्वरुप समझिए ___ - प. पू. गणिवर्य युगभूषणविजयजी मोक्ष कब होता है ? मोक्ष क्या है ? वहाँ क्या होता है ? वहाँ क्या करते हैं ? वहाँ समय कैसे निकलता है ? वहाँ आनंद किससे मिलता है ? इन्द्रियों से जो सुख मिलता है वह वहाँ नहीं है - तो ऐसा वहां क्या है जो अव्याबाध सुख का अनुभव कराता है। वहाँ जीव किस आधार से अनंतकाल तक रहता है ? शक्ति होते हुए भी वह वापिस क्यों नहीं आता? * मिथ्यात्व के साथ पायदान का संघर्ष :मिथ्यात्व के दो किल्ले - 1. भावभिनंदी रुप, 2. कदाग्रह (हठाग्रह)। 2 गुणों की प्राप्ति से अपुनबंधक अवस्था : 1. तात्विक वैराग्य, 2. सत्य की खोज। अपुनर्बंधक अवस्था प्राप्त होने पर मुक्ति का अद्वेष' गुण की प्राप्ति । अपुनर्बंधक अवस्था - मुक्ति की प्राथमिक योग्यता, मोहनीय आदि कर्म की उत्कृष्ट स्थिति फिर नहीं बांधने वाला जीव ही अपुनर्बंधक होने पर उत्कृष्ट स्थिति वाले कर्मबंध की शक्ति समूल नष्ट हो जातीहै । यह लाभ हमेशा के लिए प्राप्त हो जाता है। दर्शन मोहनीय कर्म की गांठ ढीली हो जाती है । भौतिक सुख उपर के जीव का सहज राग, उसमें पूर्ण सुख की बुद्धि अंशत: टूट जाती है, जीव ने अब संसार के मूल पर प्रहार किया है। * शुभ भावमय गुणों की भूल भुलैया। शुभ भावमय स्वयं के गुणों को देखकर आत्मा स्वयं विकास मान लेती है तो वह दर्शन मोहनीय कर्म की भूल भूलैया में फंस गया यह समझ लेना। 50505050505050505050505000307900900505050505050090050
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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