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________________ ©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®OG टहके भाव गीत समता नु केवलज्ञान (राग - बहार) छोड़ीने संसार सजाव्या तार, वगाड्यु संगीत तें वैराग्य; ताल लीधो संग रत्नत्रयी नो, साज मधुर तन ताम्बुर नुं ॥छोड़ी ने...॥ लय मां वहेतो श्वास सुगंधी, उच्छवासे प्रसरे छे सुरभि; ध्यान मां मग्न रह्या जिन महावीर, टहुके भावगीत समता न. ॥छोड़ी ने ...॥ आश्रव निरोध कर्म निर्जरा, द्वादश तप करी आत्म सर्भरा; प्रगट्युं केवलज्ञान अनुपम, अतिशय तेज भा-मंडल नु ॥छोड़ी ने ...॥ देव-दुंदुभी गाजे गगनमां, ___क्रोड़ देवता प्रभु चरण मां, स्थाप्युं शासन समवसरणमां, उर मृदंग बाजे “श्रद्धांध" मुं. ॥ छोड़ी ने ...॥ "श्रद्धांध" नवम्बर 06, 2001 ७०७७०७0000000000030650090050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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