________________
२७०७090909009009009090050७०७09090090909050७०७090७०७७०७०७
महावीर निर्वाण
महावीर महावीर वीतरागी भाव मां. भावना भावतां कर्मों बली जाय, भवो भवना भव फेरा टली जाय ॥
कर्मों बले ने आतम उजले, आतम उजलतां, जीवन झलहले, महावीरनां ध्यान मां दुःखो गली जाय, भवोभवना भव फेरा टली जाय ।
भावना भावतां ....। वैभव छोड़े ते पहेलां, वैभव ने छोड़ तूं । एकलो ज आव्यो, तो, एक लो जवानो तू । ज्ञानीनी वात, ज्ञान थी कली जवाय तो, अंतर मां ‘महावीर निर्वाण' फली जाय ।
भावना भावतां ....।
"श्रद्धांध" अक्टोबर 2002
७05050505050505050505050509029250509050505050505050090050