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विभाग - ९
मन आदि मारना 'श्रद्धांध' भावे 'निर्वाण' अंतर मा: भावुक स्तवन प. पू. युगभूषणविजयजी म.सा. द्वारा लिखित
'मनोविजय और आत्मशुद्धि' ग्रंथ में से संक्षिप्त संकलन
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- मनोविजय और आत्मशुद्धि - मनोविजय के पांच सोपान - इन्द्रियों का स्वरुप । संसार का वास्तविक सत्य
शुभाशुभ भावों से ही शांति-अशांति - आत्मशुद्धि हो तो ही समकित प्राप्ति
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