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________________ ®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®@GOOG सिर्फ रस, स्थिति कम होती है। ___ जीव को हठवादी होना चाहिए, किसलिए ? भोग के प्रति आसक्ति को दूर करने की हठ । ज्ञानी भोग-भोगते हैं किन्तु अनासकित से - जागृत अवस्था में रहकर और इस कारण से कर्म बन्ध बाधाकारक संयोग से मुक्त रहते हैं और परिणामत: अभयता के भोक्ता होते हैं। 3. व्यक्ति को स्वतंत्रता होना चाहिए भौतिक, मानसिक, आध्यात्मिक । परन्तु इसके साथ ही नीति-नियम के बंधन भी स्वीकार्य होना चाहिए । नीति-नियम यदि गलत रूढ़ियों के आधार पर बने हैं तो उनको शस्त्र रुप में प्रयुक्त नहीं करें। जहां शोषण हो रहा हो तो उसको रोकना चाहिए। वहां पूर्व कर्म की Argument का उपयोग न हो । 4. संसार में रहते हुए जीवन में कोई भी स्वयं के साथ घटने वाली जीवन घटना के पीछे पूर्व कर्म का बल अवश्य होता है । जैसे कि - भौतिक शारीरिक या आर्थिक विपत्तियाँ, आवेदनीय विपत्ति लाने वाला इच्छापूर्वक या षड़यंत्रपूर्वक व्यवहार करता है तो वह दोषयुक्त होता है। * कोई मारने आता है तो उसका यदि प्रतिकार करो तो वह वैर वृत्ति नहीं कहलाती, किसी को दिए हुए पैसे यदि वो नहीं देता है तो उस पर दावा करने में वैर वृत्ति नहीं कहलाती है । यदि कोई तुम्हारी वस्तु लेकर जा रहा है तो उसको रोकना वैरवृत्ति नहीं कहलाती है। * शठ, चोर, ठग, लफंगा, बड़बोला या गुंडे का सामना करना पड़े तो करने में दोष नहीं * योग्य, उद्यमी, प्रयत्न, पुरुषार्थ का महत्वपूर्ण स्थान है। * बीमार है तो दवाई करना ही पड़ती है। * राम ने रावण से युद्ध किया था वह न्याययुक्त था। * सर्प, विष आदि की भयानकता एवं दुःखकारकता पर जो विश्वास है वह दुष्कर्मों 505050505050505090505050002699090505050505050505050509050
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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