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समकित है सत्य अटल श्रद्धा ....
(राग - सुखदायी रे सुखदायी रे)
समकित छे सांची अटल श्रद्धा
*तत्वत्रयीमां' अविहड श्रद्धा .... समकित ... मुक्ति नुं द्वार उघाड़े जे,
___ पहुँचा डे सिद्ध-शीला श्रद्धा .... समकित ... *'करण लब्धि' सह भवि-जीव भावे,
भव सागर करुं पार तरी। दर्शन सप्तक उपशम थावे,
मोक्ष भणी वर फाल भरी .... समकित ... समकित दृढ़ धर्मानुं हो जो;
'तुंगीया' नगरी विशेष कही .... धर्मलाभ 'सुलसा' ने दे जो;
वीरनी वाणी सु अर्थ वही .... समकित ... सुखदायी रे सुखदायी रे
समकित उत्तम सुखदायी रे। जिन आज्ञा मां रहीने करीये,
काम बधां ना' वे बाधा .... समकित ...
'श्रद्धांध'
मार्च 2006 * तत्वत्रयी - सुदेव, सुगुरु, सुधर्म * पांच लब्धियों में - ‘करण लब्धि' भव्य जीवों को ही होती है।
.दर्शन सप्तक - तीन दर्शन मो. कर्म+4 अनंतानुबंधी कषाय । GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOOGO90 249 90GOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGe