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भूरि भूरि अनुमोदना
. जय जिनेन्द्र ....
परम आराधक, आत्मप्रिय एवं वीर वाणी के उपासक भाई श्री विजयभाई, प्रणाम शार्लोट नोर्थ केरोलीना संघ तीर्थ की सेवा में आपका तथा आपकी धर्मचारिणी नलिनीबेन का पुरुषार्थ अनुपम है। वर्षों से आप शार्लोट जैन संघ को स्वाध्याय कराते हो । आप स्तवनों एवं काव्यों की रचना करते हो । आपके अनेक काव्य एवं स्तवन पुस्तकारूढ़ प्रकाशित भी हुए हैं ।
2005 में आपने शार्लोट जैन स्टडी ग्रुप को कराए 1996-2001 तक के स्वाध्याय को 'स्वाध्याय अध्ययन संग्रह' पुस्तक में संग्रहित कर अनेक श्रावक-श्राविकाओं को धर्मलाभ करवाया । मैं आपकी खूब - खूब अनुमोदना करता हूँ ।
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अब आप 'श्रुत भीनी आँखों में बिजली चमके' पुस्तक को श्रावक-श्राविकाओं के करकमल में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह पुस्तक जरूर अनेकों के जीवन में विकास के कुमकुम पगले करेगी । इस पुस्तक में आपके द्वारा तेरह (13) विभाग के नाम पढ़कर बहुत ही धर्म उल्लास हुआ । आपके उदार योगदान की मैं भूरि-भूरि अनुमोदना करता हूँ ।
आप हमेशा समय का अत्यन्त सदुपयोग करने वाले हो । श्रावक रत्न के योग्य आराधक हो । आप प्रमाद का त्याग कर स्वाध्याय में लीन रहने वाले होने से परिणामस्वरूप सभी स्वाध्याय प्रेमी को उत्तम सामग्री प्राप्त होती रहती है ।
आप के भी इस सत्कार्य की हम अनुमोदना करते हैं । यह पुस्तक सभी के जीवन में शाश्वतता दर्शाने वाली एवं आध्यात्मिकता का प्रकाश प्रगटाने वाली बनी रहे ऐसी अभिलाषा ।
प्रभु कृपा से आपका शारीरिक स्वास्थ्य संरक्षित रहे, स्वास्थ्य दीर्घायु मिले एवं संघ के उत्तम कार्य करते रहें ऐसी अभ्यर्थना के साथ
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भरत शाह