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@GOGOGOGOGOGOGOGO®©®©®©®©GOGOGOGOGOGOGOGOG@GOGOGOGOGOG©®©®©®OG संकलन-सर्जन की संधि रुप साहित्य के विषय में दो शब्द
अनुमोदना - अभिवंदना 'श्रुत भीनी आंखों में बिजली चमके' प्रस्तुत संकलित ग्रंथ का नामाभिधान कर्ण पटल पर पड़ते ही अथवा शब्द संकलन पर नजर पड़ते ही भाव जगत में एक दृश्य उपस्थित होता है । वर्षाकाल की कोई एक संध्या हो, समग्र गगन मेघ धनुष से छा गया हो । सूर्य का प्रचंड ताप एवं प्रकाश प्रगट न हो तब अचानक धीमी धीमी बारिश से संतृप्त भीनाश वाले बादलों के बीच अचानक प्रकाश होता है, बिजली चमक जाती है, गगन भर जाता है, साथ ही गड़गड़ाहट से वातावरण भी विक्षिप्त हो जाता है। परंतु यह अनुभव रोमांच करने वाला जरूर बनता है।
ऐसा ही रोमांच अनुभव करने वाले श्री विजयभाई दोशी की सम्पूर्ण स्वाध्याय यात्रा के अंतिम कितने ही वर्षों की मैं प्रत्यक्ष-परोक्ष साक्षी हूँ। वर्षों पहले मैं शार्लोट स्वाध्याय के लिए आई थी। फिर पर्युषण पर्व आराधना शार्लोट जैन सेंटर के जिज्ञासु एवं भावुक आराधकों के साथ की।
श्री विजयभाई दोशी द्वारा रोपित स्वाध्याय के खेत की खेती एवं ऊपज को प्रत्यक्ष देखते, कृषिकार की अथाह मेहनत का अनुभव हुआ था । इस विकास की श्रृंखला के प्रत्येक पगले के अनुभव की अनुभूतियों एवं वैविध्यपूर्ण प्रवास की झलक हमें भी अनुभव करनी है, श्रुत भीनी आंखों में बिजली चमके' के साथ।
“तत्वार्थाधिगम' जैसे नींव रुप ग्रंथ के गहरे अभ्यास के बाद तत्काल, प्रतिमान रुप स्वाध्याय अध्ययन संग्रह' के मुद्रण के बाद श्रुत भीनी के भाव जगत को चलो मनाएं। ___ संकलन एवं सर्जन की उभय साधना का जिसमें समन्वय है ऐसे इस प्रकाशन में 'प्रकाशकिय निवेदन' द्वारा वाचक को सम्पूर्ण ग्रंथ का मानो कि आधार मिल जाए। लेखक नहीं, चित्रकार की तरह सम्पूर्ण निवेदन श्री विजयभाई ने प्रस्तुत किया है । इसलिये वाचक मनपसंद विषय पर मोहर लगाकर वहां से शुरुआत करते हैं, कर सकते हैं।
ज्वेलर्स की दुकान में ज्वेलरी की खरीदी, उसकी सुंदरता से अधिक ग्राहक की, खरीदने की शक्ति पर निर्भर रहती है। बाकी प्रत्येक ज्वेलरी मूल्यवान होती है।
अनुक्रमणिका में दर्शाए अनुसार विभाग 1-2 में प्रथम विभाग जैनम् जयति शासनम् द्वारा प्रस्तुतकर्ता जिनशासन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर कलम को आगे चलाते-चलाते अंत में डंका
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