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'गागर में सागर' गागर में सागर की तरह आगम के अनेक पकवानों का आस्वाद सुश्रावक विजयभाई दोशी ने इस पुस्तक में कराया है। मनुष्य जीवन अधिक सुख संपन्न बने ऐसा भागीरथ प्रयास किया है।
'श्रुत भीनी आंखों में बिजली चमके' ऐसा शीर्षक देकर, विजयभाई कैसे नैसर्गिक कवि हैं उसकी एक झांकी दिखती है । मैं जब शार्लोट में स्वाध्यायी रुप में प्रवचन देने गया था तब प्रवचन श्रेणि के अंतिम दिन आपने वहाँ बैठे-बैठे ही एक मौलिक कविता मेरे प्रवचनों के ऊपर बनाई एवं संगीत के साथ सकल संघ को श्रवण कराई । तब ही से आपके कवित्व हृदय का तथा शास्त्रीय संगीत के गहरे ज्ञान का मुझे परिचय हुआ था। आपकी धर्मपत्नी तपस्वी नलिनी बेन भी इस भागीरथ कार्य में विशिष्ट योगदान प्रदान करते हैं। ___ इस पुस्तक की शुरूआत जैनम् जयति शासनम् द्वारा करके विजयभाई ने उनका सम्यग्दर्शन कितना मजबूत है उसकी साक्षी दी है । तेरह विभागों की दमदार पुस्तक एक ग्रंथ समान है। उत्तराध्ययन सूत्र की बात विभाग-4 में, समकित की बात विभाग-6 में, कर्म निवारण की बात विभाग-8 में तथा कथानुयोग विभाग-11 में मुझे अत्यन्त आकर्षित कर गई। खूब ही मनन एव चिंतन द्वारा लिखित यह पुस्तक वाचक वर्ग के लिए भी पुरुषार्थ मांगती है । विभाग-11 के शीर्षक से वास्तव में कथानुयोग से तत्व सरल लगता है।
विभाग-1 में परम पूज्य आचार्य श्री रामचन्द्रसूरीश्वरजी की बात की गई है। वह एक युगप्रधान सम आचार्य थे। शास्त्रीय मर्यादा में रहकर श्री विजयभाई द्वारा किया गया यह भागीरथ प्रयास लघुकर्मी आत्माओं की आत्मा की प्रतीति करावे तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं।
श्री विजयभाई के प्रयास से वाचक वर्ग को एक नई दिशा मिलेगी एवं लघुकर्मी आत्माओं की दशा बदलेगी अर्थात् कि आत्मा का उत्थान हो, आत्मा का कल्याण हो, आत्मा-गुणस्थानक में आगे बढ़े तो कोई आश्चर्य नहीं।। ____ अमेरिका जैसे भौतिक सामग्री के ऐश-आराम के बीच रहने वाली प्रजा को इस पुस्तक के वांचन से जीवन चर्चा में श्रावकत्व लाने का मन बने, इस प्रकार इस पुस्तक का सृजन हुआ है।
प्रभु आपको स्वस्थता पूर्वक का दीर्घ आयुष्य प्रदान करे जिससे अभी ऐसी अनेक तात्विक पुस्तकें समाज को मिलें।
- प्रो. नौतमभाई वकील
(चार्टर्ड एकाउन्टेंट)
धर्मतत्व चिंतक 90GO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®© 17909©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®®