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________________ UUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUUGG आज के विज्ञान ने एक सेकंड के अरब अरब अरब अरब करोड़वें भाग को Plank Second कहा है । जैन धर्म की परिभाषा में समय इससे भी सूक्ष्म है । एक समय में 108 से अधिक मोक्ष नहीं जाते हैं । किन्तु एक सेकंड के अरबवें भाग में करोड़ों जीव मोक्ष जाते ही हैं। अपनी बुद्धि में 20 करोड़ जीव एक साथ मोक्ष गये ऐसा लगता है। * चौथे आरे में जन्मा हुआ जीव पांचवे आरे में मोक्ष गया है । गौतम स्वामी भगवान महावीर के मोक्ष जाने के 12 वर्ष बाद मोक्ष गये । सुधर्मास्वामी 20 वर्ष बाद और जंबुस्वामी 64 वर्ष बाद भरत वर्ष में से मोक्ष गए। मोक्ष सिर्फ 15 कर्मभूमि में ही होता है। इससे बाहर होता ही नहीं है । यह नियम है । अढाई द्वीप का प्रमाण 45 लाख योजन है । उसके चारें ओर मानुषोत्तर पर्वत है। उसके बाहर कोई भी मानव का जन्म या मरण नहीं होता। मोक्ष में संपूर्ण स्वभाव प्रकट होने से वहाँ किसी प्रकार का कोई दुःख नहीं है । वहां संतोष, तृप्ति आदि आत्मिक गुणों का विकास है । वहाँ शांति, समाधि, प्रसन्नता है । दोष के जागरण में दुःख और गुणप्राप्ति में आनंद है। इच्छा हो वहां दुःख आता ही है, क्योंकि सर्व दुःखों का मूल ही इच्छा है । एक ही इच्छा करना है कि - मैं अनिच्छा वाला बनूँ। Desire to be Desire less. कपिल दो मासा सोना लेने गया था, इच्छा बढ़ती गई, दुःखी होता गया । अंतर से शुभ भाव की धारा बह चली, केवल ज्ञानी हो गया, कुछ समय बाद मोक्ष चला गया। भव्य जीव ही मोक्ष जाते हैं लेकिन सभी भव्य जीव मोक्ष जाते ही हैं। ऐसा कोई नियम नहीं है । इसलिए पुरुषार्थ जरूर करना चाहिए। भव्य जीव आठवें अनंता है । अभव्य चौथा अनंता है और मोक्ष में पांचवा अनंता जीव गए हैं । इसलिए सभी भव्य जीव मोक्ष नहीं जाते । अन्यथा मोक्ष जाने वाले जीव आठवें अनंता कहे जाते। ७०७७०७0000000000023090090050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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