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________________ OUJOJI JOGGING रुपी-अरुपी :- जिसका रुप हो वही रुपी ऐसा नहीं । जिसके वर्ण (रंग) गंध, रस, स्पर्श, आकार हो वह रुपी और जिसके ये सभी न हो तो अरुपी । रुपी दिखता है, अरुपी दिखाई नहीं देता, वह पुद्गल' है । पूरन और गलत होता है वह पुद्गल, पुद्गल परिवर्तन शील है, रुपी है, कर्म भी पुद्गल है। मोक्ष किसको मिलता ? टीवी, अच्छा खाना, पति, पत्नी, पुत्र आदि अच्छे पदार्थों की इच्छा जिसका होती है उसको वो सभी मिल जाए ऐसा कोई नियम नहीं है । परन्तु मोक्ष की इच्छा जिसको होती है उसको मोक्ष अवश्य मिलता है, ऐसा नियम है। ___ मोक्ष किस प्रकार मिलता है ? अपने पाप कर्मों का संपूर्ण क्षय होने के बाद ही मोक्ष मिलता है । पुण्य से स्वर्ग के सुख मिलते हैं, धर्म क्रियाओं से पुण्य का बंध होता है। संसार में रहकर पाप कर्मों का समूल विनाश संभव नहीं । इसलिए सर्व विरति को ही धर्म कहा है । वहाँ पाप का समूल विनाश करने का बहुत अच्छा अवसर है। ___मोक्ष में जितने जीव मोक्ष गए हैं उनसे अनंत गुणा जीव .....प्याज आदि कंदमूल है हैं। इन विचारों को आत्मसात् करके कंदमूल का त्याग मोक्ष में जाने की चाह वाले के लिए आवश्यक है । मोक्ष मनुष्य गति से ही प्राप्त होता है । इसलिए जितना जल्दी हो उतना शीघ्रातिशीघ्र इस तत्व ज्ञान को समझने का, जीवन में उतारने का प्रयत्न करना चाहिए। मोक्ष कौन जा सकता है 1 गाउ = 2000 धनुष - अधिक से अधिक 500 धनुष की कायावाला, कम से कम 2 हाथ की शरीर वाला। एक समय में अधिक से अधिक 108 आत्माएँ मोक्ष जाती हैं। मोक्ष जाने का बंध होता है तो अधिक से अधिक 6 महीने तक बंध रहता है। चैत्र सुदी पूनम के दिन शत्रुजय तीर्थ में पुंडरिक स्वामी के साथ 5 करोड़ मुनि मोक्ष गए। कार्तिक सुदी पूनम के दिन शत्रुजय तीर्थ में द्राविड़-वारिखिल्ल के साथ 10 करोड़ मुनि मोक्ष गए। आसोज की पूनम दिन शत्रुजय में 5 पाण्डवों के साथ 20 करोड़ मुक्ति को प्राप्त हुए। 50505050505050505050505000229900900505050505050090050
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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