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सर्वरोग निवारिणी
(राग :- दरबारी) पद्मावती देवी तमे छो, सर्व रोग निवारिणी ।
पार्श्व प्रभुना यक्षिणी छो, सम्यग्दृष्टि धारिणी । सर्वरोग निवारिणी ....
वर्ण ॐ ह्रीँ जोड़ी ने जपतां, पार्श्व प्रभुना धारीणी । अनुपम प्रभाव प्रवर्ते तमारो, मन वांछित फल दायीनी । सर्वरोग निवारिणी
भीना भावथी ध्यान धरे तम, पामे लब्धि दुःख वर्जननी । 'श्रद्धांध' चहे अमी आशीषनां, आश तमारा दर्शननी ..।। सर्वरोग निवारिणी
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'उगे समकित भाण'
'साधर्मिक भक्ति करतां,
थाए उभय कल्याण,
जिन आज्ञा ने सेवतां,
उगे समकित भाण ॥
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Car में प्रात: Office जाते हुए मन में भाव उमड़े और लिखा गया
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“श्रद्धांध”