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हृदय की बात ..... आदिश्वर दादा (2)
भवोभव मलजो तमारो साथ, भवाटवी मां भटकी रह्यो छु,
झालजो मारो हाथ ..... भवोभव ... छोड़यो नहीं संसार, ना लीधुं
संयम चारित्र तात, मोक्ष मारग नी राह भूल्यो हुँ,
सांभल्यो नहीं तारो साद .... भवोभव .... महामंत्र ना जाप करुं हुँ,
आतम पर ना भात, मोहमाया आश्रवनुं आचमन,
___ करतो हुँदिवस अने रात....भवोभव.... भवनी भावट भांगे एवं,
‘समिकत' मलजो तात, 'श्रद्धांध' मने कही दी थी तमने
मुझ हैयानी बात .... भवोभव ....
"श्रद्धांध" अक्टूबर 2010
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