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®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©GOGOG * शरीर की 7 धातू - रक्त, मवाद, मांस, अस्थि, मज्जा, मेद, वीर्य । * अनुमोदना प्रगति का एक राजमार्ग है। * पुरुष से स्त्रियाँ विविध प्रकार के भिन्न-भिन्न स्वभाव वाली देखने को मिलती हैं।
5 धाय माताएँ * पुत्र को कुल दीपक और पुत्री को लक्ष्मी रूप कहा है, तीर्थंकर रुप बालक के लालन
पालन के लिए इन्द्र महाराज 5 धाय माताओ की नियुक्ति करते हैं। * 1. क्षीर धाय - स्तनपान कराने वाली। * 2. मंजन धाय - स्नानादि कराने वाली। * 3. मंडन धाय - श्रृंगार आदि कराने वाली। * 4. खेलन धाय - क्रीड़ा कराने वाली (खेल-खिलाने वाली) * 5. अंतर्धाय - गोद में उठाकर घुमाने वाली। * श्रद्धा को सर्वरोग निवारण करने वाली धन्वंतरी (वैद्य) की उपमा दी गई है।
तीर्थंकर देव के प्रति जितनी दृढ़ श्रद्धा होगी - उतने ही प्रमाण में (तीर्थंकर के अतिशय का प्रभाव) भगवान के अतिशय' के प्रभाव से ईति-उपद्रव्य, दुःख, कष्ट दूर होते हैं।
“चिट्ठऊ दूरे मंतो, तुज्झ पणामो वि बहुफलो होइ ।
नर तिरिएसु वि जीवा, पावंति न दुःक्ख दोगच्चं ॥ (उवसग्गहरं) महामंत्र का प्रभाव तो दूर रहा, किन्तु, हे पुरुषादानीय पार्श्वनाथ प्रभु ! आपको त्रिकरण योग (मन, वचन काया) से भावपूर्वक किया हुआ वंदन भी मनुष्य एवं तिर्यंच जीवों के दुःख-दारिद्रय दूर हो जाते हैं और दुर्गति द्वार बंद हो जाते हैं। * मंत्र शास्त्र की दृष्टि से
* पीला रंग का ध्यान - स्थंभन कराता है * लाल रंग का ध्यान - स्मरण से वशीकरण होता है। * काला रंग का ध्यान - पापियों को शांत एवं उनका उच्चाटन कराता है। * नीला रंग का ध्यान - इस लोक (मानव सुख) के लाभ की प्राप्ति और
* श्वेत रंग का ध्यान - शांति प्राप्ति होती है, कर्म क्षय होते हैं। GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOOGO90 200 90GOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGe