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सप्तग्रामे च यत्पापम, अग्निना भस्मसात्कृते ।
तदैव जायते पापं, मधु बिन्दु प्रभक्षणात् ॥2॥ अर्थ :- अग्नि के द्वारा 7 गांव जलाकर भस्म करने से जो पाप लगता है, उतना ही पाप मधु का एक बिंदु खाने से लगता है।
यो ददाति मधु श्राद्धे, मोहितो धर्म लिप्सया ।
सा वाति नरक घोरं, खादकैः सह लंपटै ।।3।। अर्थ - देने से धर्म होगा इस भाव से मोह के कारण किसी को शहद देता है वह पुरुष उन खाने वालों के साथ नरक में जाता है। यहां अनुमोदना करना भी महापाप समझाया है।
कोई भी अन्य व्यक्ति दुष्कृत्य या शासन विरुद्ध प्ररुपणा करते हैं वहाँ यह सोचे कि इनका साथ देने से धर्म होगा तो उसमें दुष्प्रणि धान रुप अनुमोदना का पाप सहन करना पड़ता है । अनुमोदना को समझकर शुभ अनुमोदना कीजिए।
समकित के 6 प्रभावक समकित के 6 प्रभावक बताए हैं :
जो मुनि जिन प्ररुपित आगम की प्ररुपणा समय के अनुसार करना जानता है एवं तीर्थ को शुभ मार्ग की ओर प्रवर्तित करके वे प्रवचन प्रभावक कहलाते हैं।
1. प्रभावक :- वज्रस्वामी 2. प्रभावक :- सर्वज्ञसूरि । कमल नामक युवक का उदाहरण ।
कमल का जीव, स्वर्ग, मोक्ष, आकाश सभी को आलिंगन करने जैसा । घोड़े के सिंग जैसा असत्य मानता था, इसको समझाने के लिए लब्धिधर मुनि ने उसके पसंद के विषय से समझाकर सत्य मार्ग पर लाने के लिए 4 प्रकार की स्त्रियों के विषय में बताया -
1.पद्मिनी-सबसे उत्तम 2.हस्तिनी-मध्यम 3.चित्रिणी-अधम 4.शंखिनी-अधमाधक
1. पद्मिनी :- राजहंस के जैसी मंद-मंद गति से चलने वाली, पेट पतला, पेट में तीन GUJJJJJJJJJJJJ 194 TUJJJJJJJJJJ