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________________ GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOG@GOGOG@GOGOGOGOGOGOG प्रारंभ किया देशनाओं की अमृत वर्षा की। यह ध्यान रखें :- जिस इन्द्रिय का दुरुपयोग करोगे वह इन्द्रिय पीछे के भव में पुन: नहीं मिलेगी । श्रवण यंत्र से देव-गुरु की सिर्फ निंदा ही सुनी, उपकारी के दोष और अवर्णवाद सुने। दुनिया की गंदगी, कान में डालकर 'मस्ती करी' तो श्रोमेन्द्रिय खो देने का अवसर आने वाला है । इसलिए बुराई सुनना छोड़ो और अच्छी बातें सुनो। उदाहरण :- पटेल सभा में गए, वहाँ उन्हें सम्मानजनक शब्द सुनने को मिले - आओ भाई, कैसे हो ? भाई बैठो ? कैसे जल्दी उठ कर चल दिये? इन तीन वाक्यों को सुनकर पटेल सा. को अच्छा लगा । घर गए । दिन भर शब्द कानों में गूंजते रहे । रात को सोए । नींद में ये तीनों वाक्य बोलते रहे । घर में चोर आए। चोर उसके इन शब्दों को सुनकर घबरा गए। पटेल से माफी मांगी और चले गए। प्रवचन में कभी नहीं जाने वाले पटेल को क्या मिला ? सुनने गया, सम्मान मिला, घर की सम्पत्ति बच गई। पटेल ने सोचा सत्संग करना चाहिए। अब प्रतिदिन साधु संतों के समागम में रहने लगा। ___ लाभ :- जिनवाणी सुनने के लिए एकत्रित होने में कितना लाभ है । एक घंटा धर्म ध्यान में जाएगा, कर्म निर्जरा और पुण्य प्राप्ति होगी। मन में उठते प्रश्नों का समाधान होगा, वहां आने वाले गुणीजनों से संपर्क होगा। उनके समागम से लाभ मिलेगा। औचित्य और मर्यादा का आभास होगा।वैयावच्च का लाभ मिलेगा। धार्मिक सर्कल बनेगा। बुरे व्यक्तियों से दूरी हो जाएगी। सत्कार्यों की प्रेरणा मिलेगी। जयणा जैनों की भागा हुआ व्यक्ति भी पकड़ा जाता है । जैन घर में इस प्रकार रहें कि हिंसा से बचने का और अहिंसा पालने का हमेशा ध्यान रहे। दाल-चावल जैसी वस्तु घर के व्यक्ति देखकर और झटक कर नौकर को देगा । फिर भी नौकर उस अनाज को फिर से देखेगा कि कोई जीव-जंतु तो नहीं है । उसके बाद बर्तन में पकेगा। ७०७७०७0000000000016590090050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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