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नवकार महामंत्र का शाश्वत प्रभाव मन को आनंद विभोर कर हमेशा मार्गदर्शन प्रदान करता है । तीर्थंकर प्रणित तीन मुख्य बातें, जीवन जीने की पद्धति (Art of Living) एक अति उजागर मार्ग पर आत्म कल्याण का संदेश देती है । सारभूत धूत (कर्म निर्जरा का हेतु), उसकी मधुरी बात में विशिष्ट महत्व रखता है।
जैन क्रियाओं में विज्ञान का विवेचन ‘जयणा' एवं जीवदया के सिद्धांतों को जीवंत कर दे ऐसा है । ज्ञानी भगवंतों का निशान' आत्म कल्याण सिद्ध करने, बाल जीवों के प्रति प्रशस्त भाव का दर्शन करा देता है।
'उत्तराध्ययन सूत्र' में प. पू. आचार्य श्री विशालसेन सूरीश्वरजी म.सा. ने 'अंतिम देशना' ग्रंथ में तत्वज्ञान सभर हुबह दृष्टांतों से, मानव जीवन को धन्य बनाने की प्रेरणा प्रदान की है। इस विभाग में संकलन मार्गदर्शक बने हैं, जो रत्नत्रयी की ओर का एक मार्ग बता रहे हैं।
विद्वता साधु भगवन्त, अति उपकारी तम धर्म कवन
अभ्यास, सभर ने क्षीर वंत, विचारों का जिन-वृंदावन । कल्याण यात्रा की शुरुआत जीवन को सार्थक करने हेतु अति उपकारी जिन प्रणित मार्गदर्शन से ही हो सकती है ना ? योग दृष्टि एवं भाव श्रावकता के द्वारा, अगाध श्रुतज्ञान के विशाल गगन में विहार करने मिले तो आनंद आए बिना नहीं रहे।
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