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जीव की ५ मुख्य इच्छाएँ
* जीव की 5 मुख्य इच्छाएँ :1. जीव की प्रथम इच्छा जीने की (सबसे प्रबल इच्छा) है। 2. जीव की द्वितीय इच्छा ज्ञान प्राप्त करने की है। 3. जीव की तृतीय इच्छा सुख प्राप्त करने की है। 4. जीव की चौथी इच्छा स्वतंत्र रहने की है। 5. जीव की पांचवी इच्छा सभी मेरे अधीन रहना चाहिए।
1.जीने की इच्छा :- 100 वर्ष पूरे हो जाए तो भी और ज्यादा जीने का प्रयत्न करता है । देवलोक में पल्योपम से सागरोपम का आयुष्य होने के बाद मृत्यु आती है तो भी अच्छा नहीं लगता । मृत्यु कभी न आए और शाश्वत जीवन मिले उसके लिए हमको मूलभूत आत्म स्वरुप प्रकट करना जरूरी है । उसके बाद ही शाश्वत जीने की इच्छा पूर्ण हो सकती है।
2. ज्ञान प्राप्ति की इच्छा :- पूरे जगत में भ्रमण करके आ जाए, छ: खंड की प्रदक्षिणा करके आ जाए तो भी फिर नया जानने की (ज्ञान प्राप्ति का) इच्छा कभी संतुष्ट नहीं होती। हमारे भीतर एक ज्ञान ऐसा बैठा है कि जिसके द्वारा सभी जीव और सभी पुद्गल का तीनों काल के सर्व पर्यायों को एक समय में जाना जा सकता है। यह लोकालोक प्रकाश ज्ञान प्रकट होने के अतिरिक्त जीव की ज्ञान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती ही नहीं । इस इच्छा को पूरी करने के लिए केवल ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।
3. सुख प्राप्त करने की इच्छा :- कैसी इच्छा ? किसी के पास मेरे से ज्यादा सुख नहीं होना चाहिए । मेरे पास 5 करोड़ हैं; पास वाले (पड़ौसी) के पास 10 करोड़ हैं। उसके विचार में जो 5 करोड़ मिले हैं उसका भी सुख नहीं भोग सकते । हमको तो ऐसा सुख चाहिए कि जो मिला वह वापिस जाए ही नहीं । उसमें बिल्कुल दुःख का मिश्रण नहीं चाहिए । सिद्ध
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