________________
मोक्ष के अतिरिक्त कोई भी स्थान स्थिरता का नहीं है, सर्व सिद्धियाँ तपोमूलक है
जीवन को सार्थक करने के लिए क्या करना चाहिए ?
G
प्र. : - इस जीवन को सार्थक करने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर :- जीवन क्या है ? पहले यह समझना आवश्यक है । जीवन का रहस्य जानने के प्रयत्न में भगवान का रहस्य आ जाता है | Highway पर Sign देखते जाइये । मार्ग सत्य है, मंजिल कितनी दूर है, रास्ता तो यही है, आदि का विश्वास और आश्वासन जो मिलता रहता है उसी को ज्ञानी समाधान कहते हैं । पूना जाना है, अभी आया नहीं; समाधान से आगे बढ़ते जाओ । आपकी यात्रा लंबी है, परन्तु कल्याण यात्रा होनी चाहिए।
एक ही ध्येय एवं एक ही चिंता हो ।
दिशा सत्य है ना ? सच्ची दिशा है, इसकी कैसे मालूम पड़ेगी ?
पूना कितना दूर है उसकी जानकारी बोर्ड पर देखने से मालूम पड़ेगी उसी प्रकार अध्यात्म की प्रतीति जीवन में से करनी है । जीवन अनेक द्वंद्व से बना हुआ है ।
सुख-दुःख, शीत-ग्रीष्म, ऊँच-नीच, गरीब-अमीर है । दिन-रात सुख अच्छा लगता है, दु:ख अच्छा नहीं लगता, परंतु पर्वत हो और खाई न हो ऐसा कभी होता है ? जन्म हो मृत्यु न हो ऐसा कभी होता है ?
उत्सर्ग तंत्र के बिना पाचन तंत्र हो सकता है क्या ? सुख को स्वीकार करते हैं वैसे दुःख को भी स्वीकार करना ही पड़ता है । इस द्वन्द्व से छुटकारा पाने के लिए सुख और दुःख से ऊपर की एक स्थिति होती है, आनंद की । आनंद का पर्याय ढूंढना बहुत कठिन है । हम अंदर से (गहराई से ) आनंद की खोज में हैं; किन्तु सुख - दुःख के चक्कर में अटक कर रह गए हैं ।
136