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हूँ तो सावरे अधूरो ..... हूँ तो साव रे अधूरो ...
मनमां ने मनमां मानुं जाणे शूरो पूरो ।। हूं तो ..... सोना रुपाना मढ्या में भक्तिनां भाणा,
गातो हूँ स्तवनो तारा गुणलानां गाणा, छलकातो द्रव्यथी हूँ, भावथी अधूरो ॥ ..... हूं तो भाव. ....
अनशन करूँ हूँ त्यारे, देह ने विचारूं,
भेद ज्ञान - भणतर हूँ पोथिमां प्रसारूं । चारित्रनी बारखड़ी भण्यो ने भूल्यो .... हूं तो ....
राग-द्वेषनां तांडव नु, आक्रमण छे भारी,
ग्रंथी उघड़वा ना दे, समकित नी बारी, 'श्रद्धांध' जिन आज्ञा मां,
सूर पूर मधुरो .... हूं तो .....
अंतर निरीक्षण खबर नथी आवृं, शाने थाय छे ? क्यारेक तन तो क्यारेक मन गाय छ ।
पूर्व जन्मनी तो वात ज क्या करवी ? प्रसंगना हर्षनुं समर्पण, तरबोल करी जाय छ ।
"श्रद्धांध"
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