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तारो संग मल्यो . (राग - यमन कल्याण, ढाल - चंदन सा बदन) तारो संग मल्यो रूडो रंग मल्यो,
नवं गीत मल्युं भीनो भाव मल्यो .... तारा संगना रंगमा रंगाई जता,
पुलकित प्राणोंनो प्रसंग मल्यो। नवा गीतनां भीना भाव महिं,
अंगे-अंग मां नित्य उमंग मल्यो । उरना अनुभवनां घेनमाँ,
__मनड़ानां मयूर ने मेघ मल्यो । ...... तारो संग ....॥ तारी वाणी, समवसरणनी महेक,
लाखो जीवों ने तारणहार मल्यो । संदेश मल्यो, उपदेश मल्यो,
जिन शासन ने साचो 'श्वास' मल्यो ।। 'श्रद्धांध' नी भीनी भावना मां,
तारो गेबी' अनेरो साद मल्यो॥....... तारो संग....॥
"श्रद्धांध"
2011
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