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________________ ®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®@GOOG * आत्मा का वजन क्षमा से हलका होता है । पूर्णत: नष्ट होता है। * मनुष्य की शक्ति और क्षमता का अंदाज उसकी क्षमा से पता चलता है। * हमारे पास क्षमा तो होती है किन्तु जब आवश्यकता पड़ती है तब ही नहीं होती। क्षमा के उदाहरण * पार्श्व प्रभु की क्षमा - 10-10 भवों तक कमठ के वैर के प्रति क्षमा के साथ प्रभु जीत गए। * गुणसेन राजा और अग्निशर्मा तापस 9 भव तक साथ रहे । क्षमा के बल पर राजा सुखी हो गए और तापस दुःखी ही रहा। * क्षमा के सागर भगवान महावीर - 'नमामि वीरं गिरिसार धीरं' * प्राणांत कष्ट आने पर भी वीर की क्षमा अपूर्व थी। * ग्वाला ने कान में कीले डाल कर सताया, परन्तु महावीर वीर ही रहे । * शिष्य गोशाले का मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ वाला अन्याय सहन किया। बेटी-जमाई विरुद्ध हो गए । भरी सभा में जमाली स्वयं को सबसे अधिक ज्ञानी कहता था। * बुज्झ-बुज्झ किं न बुज्झहिं ? (बुज्झ-बुज्झ चंडकौशिक) हे चंडकौशिक ! समझ समझ तू समझ क्यों नहीं रहा है ? * क्षमा करने से मनुष्य सिंह जैसा हो जाता है । अविनीत और कायर पुरुष क्लेशकारी होते हैं । क्षमा मनुष्य को परमात्मा बनाती है। * पार्श्वनाथ की क्षमा :- 10-10 भव तक कमठ उनको सताता रहा, मार डालता था, प्रथम भव में कमठ ने मरुभूति (पार्श्व प्रभु का जीव) का सिर पत्थर की शिला से कुचल डाला । मरुभूति का प्राणांत हो गया। 9@GO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®© 123 9@G©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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