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________________ GOGOGOGOGOOGOGOGOGOGOGOGOGO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©® आत्मा में शौर्य, सत्यता का झनकार, श्रद्धा की स्थिरता, आत्मीय निखालसता और तप रूप शस्त्र के तेज से अंदर की रिक्तता को भर दिया था। बुद्धि की निर्मलता, हृदय की सरलता और विचारों की परिपक्वता के बिना सत्य जानने उत्कंठा जागृत नहीं होती। सच्चा सो मेरा * नक्षत्रों का मूल चन्द्र है, चन्द्र के कारण ही इतने नक्षत्र बने हैं। * धर्म का मूल प्रभु ऋषभ देव हैं। * सच्ची सम्पति निष्परिग्रहता है, ज्ञान-विद्या यही संपत्ति है। * समता से श्रमण, ब्रह्मचर्य से ब्राह्मण ज्ञान से मुनि (ज्ञानी) और तप से तापस हुआ जाता है। * देखना ! परमात्मा के नाम से, परमात्मा से दूर न निकल जाएँ ? ध्यान रहे !! मोक्षमार्ग - गति उत्तराध्ययन सूत्र - अध्ययन 28वाँ * यह जीव दुःख, दर्द, पीड़ा, संताप, जन्म-मरण से मुक्ति, क्लेश-कषाय, वध ___(मारना), बंधन से मुक्त हो - वह मोक्ष । * जन्म-मरण, पेट-भर खाया-फिर भूखा हो गया, हंसना फिर रोना, चढ़ना-फिर गिरना, राजा होकर रंक बने, इन सब से पृथक (मुक्त) होने के लिए - मोक्ष । साधना के लिए ज्ञान, दशर्न, चारित्र और तप एक मात्र मोक्ष का मार्ग है । इसके अतिरिक्त अन्य कोई मोक्ष का मार्ग नहीं है । ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप चारों ही हमारे भीतर हैं । हमारी सम्पत्ति है। बाहर से लाने की कोई वस्तु नहीं है। * मन, दुनिया की दौलत से नाचता-कूदता है, आत्मा नहीं ! प्रभु ने जो हमें ज्ञान दिया है, उस पर दृढ़ श्रद्धा रक्खो, श्रद्धा बिना का ज्ञान निरर्थक है। * स्वाध्याय करो, श्रुत सीखना है, श्रुत ज्ञान के बिना केवलज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता । श्रुतज्ञान-मति ज्ञान के बिना नहीं मिल सकता । मति (बुद्धि) शुद्ध और निर्मल होना चाहिए।शास्त्र श्रवण, स्वाध्याय, अध्ययन से 'क्षयोपशम' होता है। 90GOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOQ 103 GOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGO
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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