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धार्मिकता एक ऐसी गुणवत्ता है, जिसमें सच्चाई, प्रमाणिकता, स्वाभाविकता, साहजिकता, अस्तित्व के साथ एक गहन आत्मीयता का भाव, एक प्रेमाल हृदय एवं सबके साथ मैत्री की उर्मियाँ उत्पन्न होती है । एक आंतरिक भगवान का जन्म होता है । अनुभव आपको धर्म की असीम मिठास का एवं उसके सत्य का पूर्ण स्वाद प्रदान कर सकता है । सरलता का गुण असीम प्रगति करवा सकता है । इसलिए सरलता रखो।
रंग-बहारे आलम है, क्या फिक्र है तुझको ऐ साकी । महफिल तो तेरी सुनी न हुई, दो उठ भी गए, दो आ भी गए । आपके होने ना होने से दुनिया को क्या फर्क पड़ता है ?
श्रेणिक राजा ने प्रथम बार स्वयं से अधिक बहुत ही बड़ा मनुष्य देखा । आज उन्हें चेल्लणा की बातों में दम था ऐसा लगा।
यही बहसें रही सबमें, वो कैसे हैं ? वो कैसे थे ?
यही सुनते हुए गुजरी, वो ऐसे हैं, वो ऐसे थे । यह ऐसे है और वह वैसे है । इसमें पूरी जिन्दगी पूर्ण कर दी। समझना चाहिए कि महान सम्राट, राजकुमार चक्रवर्ती एवं तीर्थंकर - भगवान को भीधर्म बिना नहीं चल सका । उन्होंने जगत को यही समझाया कि धर्म सिवाय किसी का आधार नहीं । समस्त प्रश्नों का एक ही उत्तर, समस्त रोगों का एक ही इलाज है । समस्त प्रश्नों का एक ही उत्तर, समस्त रोगों का एक ही इलाज है - धर्म ही मुक्ति देगा।
कटे हए जड़ वाला वृक्ष, युद्ध में मस्तक कटाया हआ योद्धा, एवं धर्म रहित धनपति यह तीनों कितने समय टिकेंगे? थोड़े समय पश्चात् गिर जाएंगे।
खोने-गुमाने के पश्चात् तो ज्ञात होता है कि हमारे समीप यह था, अनाथी मुनि की बुलंदी, मगध के सम्राट को सूक्ष्म बना गई । श्रेणिक को चेल्लणा की बातें समझ में आने लगी। आपने आज मुझे अनाथता का सत्य स्वरूप समझाकर महाभाग्यशाली बना दिया। आपका बड़ा उपकार, मैं आपसे क्षमायाचना करता हूँ।
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