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________________ ७७७७७७७09090090090900900509090900909009005050905 __ अनुप्रेक्षा महावीर तमे तो तरी गया अमे हजु ये भव -भव सरी रह्यां महावीर तमे जे कही गया अमे ना करवानुं करी रह्यां ..... महावीर कषायों कर्या, ना सत्य पीछाण्यु खोटा ने सांचु करी माण्यु वक्र एवं जड़ प्रजा अमे प्रभु आंकीए दान तणी किंमत विभु ... उन्मार्ग ना पंथे विचरी रह्यां अमे ना करवानुं करी रह्यां ..... महावीर * अनुप्रेक्षा' नुं अमूल्य एक तारण सन्मति, •अमूढ दृष्टि हजो धारण वहीवट सहु जिनमति थी करिए 'सांचु ते मारूं' मंत्र अनुसरीए... महावीर नी आ वाणी जो बिसरी रह्यां अमे ना करवानुं करी रह्यां ..... महावीर 'श्रद्धांध फरवरी 2009 * अनुप्रेक्षा - Introspection, मनन •अमूढ दृष्टि - विवेक बुद्धि, अच्छे बुरे की समझ ७७०७09009005000७०७७०७0745050505050505050505050505050
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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