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अहिंसा .... महावीर की महावीर भगवान ने अहिंसा की व्याख्या
ऐसी ही कुछ की है .... प्रत्येक आत्मा वह तू तुझसे ना कोई जुदा सब एक ही एक ....
तब भी सब ही स्वतंत्र
किताब
कहने को शब्द ना मिले
लिख गई किताब पूर्व जन्म के नाते-रिश्ते
प्रगटाते हैं अधूरे ख्वाब। मिले जहां साथ उदार दिल की
सुरीली सितार अगम्य बनकर रह जाती हमारे जीवन की पगथार ॥
'श्रद्धांध' GOGOGOGOGOGO®©®©®©®©®©®©®©®0 7350GOGOGO®©®©®©®©®©®©®©®©®©Ge