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________________ आगम (४०) आवश्यक - मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः) भाग-४ अध्ययनं [१], नियुक्ति: [९१८], वि०भा०गाथा H, भाष्यं [१५१...], मूलं - गाथा-], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सत्राक सुभूमः स्कारे दीप अनुक्रम श्रीआव मतो ज्ञशरीरभव्यशरीरव्यतिरिको द्रव्यक्रोधः प्राकृतशब्दसामान्यापेक्षया चर्मकारक्रोधः रजकक्रोधो नीलिकोधश्च क्रोध-4 कपायेषु श्यकमल इति गृह्यते, नोआगमतो भावक्रोधः क्रोधादय एव, स च चतुर्भेदः, उक्तं च-"जलरेणुपुढविपचयराईसरिसो चउबिहो| क्रोधे यगिरीय कोहो।" प्रभेदफलमुत्तरत्र वक्ष्यामः, तत्र क्रोधे उदाहरणम्-वसंतउरे नयरे उच्छन्नवंसो एगो दारगो, देसंतरं संकम-II वृत्तौ नम ★माणो सत्येण उज्झितो तावसपहिं ततो, तस्स नाम अग्गियउचि, तावसेणं बद्धितो, जमो नामं सो तावसो, जमस्स पुत्तो जमदग्गितो जातो, सो घोरागारं तवचरणं करेइत्ति विक्खातो जातो। इतो य दो देवा, बेसानरो सद्धो धनंतरी तावसभत्तो, ते दोऽवि परोपरं पण्णवेंति, भणंति य-साहू तावसे परिक्खामो, सद्धो आह-जो अम्हं सबअंतिमओ तुझ ॥५०॥ य सबप्पहाणो ते परिक्खेमो। इतो य मिहिलाए नयरीए तरुणधम्मो पउमरहो राया, सो चंपं बच्चइ वसुपुजस्स आय रियस्स मूले पपयामित्ति, तेहिं सो परिक्खिजह भत्तेणं पाणेण य, पंथे य विसमे सुकुमालतो दुक्खाविजाइ, अणुलोमेश दाय से उपसग्गे करेंति-चित्तक्खोभो जायइ, सो धणियतरागं थिरो जातो, न पुण तेहिं खोभितो, अण्णे भणंति-ते सिद्ध पुत्तरूवेण गया, अतिसए साहेति, जहा चिरं जीवियचं, सो भणइ-बहुओ मे धम्मो होहिति, न सकिओ खोभेडं, गया जमदग्गिस्स समीयं, सउणरूवाणि कयाणि, कुच्चे से घरओ कतो, सउणओ भणइ-भद्दे ! जामि हिमवंतं, सा न देइ, मा न एहिसित्ति, सो सवहे करेइ गोघाइयगाइ जहा एमित्ति, सा भणइ, न एएहिं पत्तियामित्ति, जइ एयस्स रिसिस्स दुक्खि(कि)-18 D ॥५००॥ काय पियसि तो विसजेमित्ति, सो रुट्ठो, तेण दोऽवि दोहिं हत्येहिं गहियाणि, पुच्छिया भणंति-महरिसि! अणवच्चोऽसि, सो भणइ-सच्चमेयं, खोभितो। एवं सो सावगो जातो देवो, इमोऽवि ताओ आयावणभूमीतो उइण्णो मिगकोडगं नगरं जाइ, SMEcationDGE |...क्रोध तथा मान-कषाये सुभूम-चक्रवर्ते: कथानक ~122
SR No.007204
Book TitleAagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages327
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size27 MB
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