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आगम
(४०)
"आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्ति:) भाग-२ अध्ययनं H, नियुक्ति: [१८४], विभा गाथा H], भाष्यं [३...], मूलं - /गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति:
44-48
प्रत
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सत्राक
गइया रिमियं नट्टविधि उवदसति, अप्पेगड्या अंचियरिभियं नदृविहिं उवदंसंति, अप्पेगइया आरभड नट्टविहिं उवदसति, अप्पेगइया भसोलं नहविधि उपदंसेंति, अप्पेगइया आरभडभसोलं नट्टविहिं उवर्दसेंति, अप्पेगइया उप्पयनिवयं निवउप्पयं० संकुचितपसारियं० भताभंतं नाम नट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पेगइया चउविहं वन्न वायंति, तंजहा-ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पेगइया चउविहं गेयं गायंति, तंजहा-उक्खित्तयं पावत्तयं मयं रोइयं, अपेगइया चउविहं अभिनयं अभिणति-दिहतियं पाडिस्सुयं लोगमज्झवसियं सामंतोवणिवाइय, अप्पेगइया पीणंति अप्पेगइया तंडवेंति अप्पेगइया लासेंति अप्पेगइया उच्छलंति अप्पेगइया पुच्छलंति अप्पेगइया तिवई छिदंति अप्पेगइया हयहेंसियं करेंति अप्पेगइया हस्थिगुलुगुलाइयं करेंति अप्पेगइया रहघणघणाइयं करेंति अप्पेगइया हयहेसियं रहघणघमाइयं करेंति अप्पेगइया हत्धिगुलुगुलाइयं रहघणपणाइयं करेंति, अप्पेगइया हयहेसियं हत्थगुलुगुलाइयं रहघणघणाइयं करेंति, अप्पेगइया | अप्फोडेंति अप्पेगइया वगंति, अप्पेगइया सीहनादं नदंति, अप्पेगइया अप्फोडंति वग्गंति सीहनादं नदंति, अप्पेगइया पायदद्दरं करेंति, अप्पेगइया भूमिचवेडं दलयंति, अपेगइया महया महया सद्देण रावंति, अप्पेगइया पायदहरगं भूमिचवेडगं महया मया सद्देण रावंति, अप्पेगइया हक्कारेंति अप्पेगइया बोकारेंति अप्पेगइया थेक्कारेंति, अप्पेगइया देवा हक्कारेंति बोकारेंति थेकारेंति, अप्पेगइया ओवयंति अप्पेगइया उप्पयंति अप्पेगइया परिवत्तंति अप्पेगइया
ओवयंति उप्पयंति परिवति, अप्पेगइया गजति अपेगइया विजुयायंति अप्पेगइया वासं वासेंति, अप्पेगइया गजति ट्र विजुयायति वासं वासंति, अप्पेगइया देवुकलियं करेंति अप्पेगइया देवकहकहयं करेंति अप्पेगइया देवदुहृदुद्दयं करेंति,१॥
दीप अनुक्रम
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