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________________ आगम (४०) प्रत सूत्रांक [-] दीप अनुक्रम [-] “आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (निर्युक्तिः + वृत्तिः) भाग-२ अध्ययनं [-], निर्युक्तिः [१८४ ], वि०भा० गाथा [-], भाष्यं [ ३...], मूल [- / गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र -[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक" निर्युक्तिः एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्तिः जे से नीला मणी तेसि णं मणीर्ण इमे एयारूवे वण्णावासे पण्णसे, से जहानामए भिंगेइ वा भिंगपलेइ वा सुरइ था सुवपिच्छे वा चासेइ वा चासपिच्छे वा नीलीइ वा नीलभेदेइ वा नीलीगुलियाई वा सामागेइ वा उच्चंत वा इल| हरवसणेइ वा मोरग्गीवाइ वा जवसीकुसुमेइ वा अंजणकेसियाकुसुमेइ वा नीलुप्पलेइ वा नीलासोगेह वा नीलबंधुजी| वगेइ वा नीलकणवीरेह वा भवे एयारूवे १, नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं नीला मणी तत्तो इद्वतरा चैव कंततरा चैव मणुनतरा | चेव मणामतरा चैव वज्ञेणं पद्मत्ता, अत्र भृङ्गः कीटविशेषः, पक्ष्मलं भृङ्गपत्रं तस्यैव भृङ्गाभिधानस्य कीटविशेषस्य पक्ष्म, उच्चतगो दन्तरागः, हलधरो -बलदेवस्तस्य वसनं हलधरवसनं तच्च किल नीलं भवति, सदैव तथा स्वभावतया हलधरस्य नीलवस्त्रपरिधानात्, अञ्जनकेशिका-वनस्पतिविशेषः । तत्थ णं जे ते लोहिया मणी तेसि णं मणीणं इमे पयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते से जहानामए उरब्भरुहिरेइ वा ससगरुहिरेइ वा नररुहिरेइ वा बराहरु हिरेइ वा बालिंदगोपगेड वा वाढदिवागरेइ वा संशय्मरागेइ वा गुंजद्धरागेइ वा जासुमणकुसुमेह वा किंसुयकुसुमेइ वा पारिजातकुसुमेइ वा जायहिंगुलप पा | सिलप्पवालेड वा पवालंकुरेइ वा लोहियक्खमणीइ वा लक्खारसगेइ वा किमिरागकंचलेइ वा चीणपिडरासीइ वा रसुप्पछेड़ वा रसासोगेइ वा रतकणवीरेइ वा रत्तबंधुजीवेइ वा भवे एयारूवे १, नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं लोहिया मणी एतो इतरा वेव कंततरा चैव मणुष्णतरा च मणामतरा चेव वण्णेणं पण्णत्ता, उरस्वादिरुधिराणि शेषरुधिरेभ्यो लोहितवर्णोत्कटामि भवन्तीति तेषामुपादानं, बालेन्द्रगोपकः-सद्योजात इन्द्रगोपकः, स हि प्रवृद्धः सन् ईषत्पाण्डुरको भवति ततो वालग्रहणं, | शिलाप्रवाल- प्रवालनामा रक्षविशेषः प्रवालाङ्कुरः- तस्यैव रक्षविशेषस्याङ्कुरः । तत्थ णं जे ते हालिहा मणी तेसि णं मणीणं Jan Education International For Peace & Personal Use Only 79~
SR No.007202
Book TitleAagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages325
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size28 MB
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