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क्रम विषय
१. श्री आदिनाथ - स्तुति २. श्री चन्द्रप्रभ - स्तुति ३. श्री शान्तिनाथ - स्तुति
४. श्री नेमिनाथ - स्तुति ५. श्री पार्श्वनाथ - स्तुति
६. श्री वर्द्धमान - स्तुति
७. श्री सिद्ध-स्तुति
८. श्री साधु-स्तुति ९. श्री जिनवाणी स्तुति १०. जिनवाणी और मिथ्यावाणी
की बहुमूल्यता १६. शिक्षा
११. वैराग्य-कामना
१२. राग और वैराग्य का अन्तर १३. भोग- निषेध
१४. देह - स्वरूप
१५. संसार का स्वरूप और समय
१७. बुढ़ापा
१८. संसारी जीव का चिंतवन
१९. अभिमान - निषेध
२०. निज- अवस्था - वर्णन
२१. बुढ़ापा
२२. कर्त्तव्य - शिक्षा
२३. सच्चे देव का लक्षण २४. यज्ञ में हिंसा का निषेध
२५. षट्कर्मोपदेश
२६. सप्तव्यसन
२७. जुआ - निषेध २८. मांसभक्षण- निषेध
२९. मदिरापान निषेध
३०. वेश्यासेवन निषेध
विषय-सूची
क्रम विषय
३४. परस्त्री- - त्याग-प्रशंसा
३५. कुशील - निन्दा
३१.. आखेट - निषेध
३२. चोरी - निषेध
३३. परस्त्री - सेवन निषेध
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छन्दांक
१-४
५
६
७
८
९-१०
११-१२
१३
१४-१५
१६
१७
१८
१९
२०
२१-२४
२५-२७
२८-३१
३२-३३
३४-३६
३७
३८-४३
४४-४५
४६
४७
४८-४९
५०
५१
५२
५३
५४
५५
५६
५७
३६. एक - एक व्यसन का सेवन
करनेवालों के नाम व फल
३७. कुकवि-निन्दा
३८. मनरूपी हाथी
३९. गुरु - उपकार
४०. कषाय जीतने का उपाय
४१. मिष्ट वचन
४२. धैर्य धारण का उपदेश
४३. होनहार दुर्निवार
४४. काल - सामर्थ्य
४५. धैर्य - शिक्षा
४६. आशारूपी नदी ४७. महामूढ़ - वर्णन
४८. दुष्ट-कथन
४९. विधाता से तर्क
५०. चौबीस तीर्थंकरों के चिन्ह
५१. श्री ऋषभदेव के पूर्वभव ५२. श्री चन्द्रप्रभ के पूर्वभव ५३. श्री शांतिनाथ के पूर्वभव ५४. श्री नेमिनाथ के पूर्वभव ५५. श्री पार्श्वनाथ के पूर्वभव ५६. राजा यशोधर के पूर्वभव ५७. सुबुद्धि सखी के प्रतिवचन
५८. गुजराती भाषा में शिक्षा ५९. द्रव्यलिंगी मुनि
६०. अनुभव - प्रशंसा
६१. भगवत् - प्रार्थना ६२. जिनधर्म - प्रशंसा
छन्दांक
५८-५९
६०
६१
६४-६६
६७
६८
६९
७०
७१
७२
७३-७४
७५
७६
261-6161
६५. परिशिष्ट - २ छन्दानुक्रमणिका
८५
८६
८७
८८
८९
९०
९१
९२
९३ - १०५
१०६-१०७
६३. अन्तिम प्रशस्ति
६४. परिशिष्ट - १ महाकवि भूधरदास
७९
८०
८१
८२
८३
८४
और उनका 'जैन शतक'