________________ अनवस्थादोषप्रसंगो भवेत्। टीकार्थ : दृष्टान्त विशेष रूप होता है और व्याप्ति सामान्य रूप से होती है। अतः उदाहरण में भी सामान्य व्याप्ति का विवाद होने पर उसका निश्चय कराने के लिए अन्य उदाहरण की अपेक्षा होने से अनवस्था दोष का प्रसंग होता है। 230. निदर्शन और व्याप्ति कैसी होती है ? निदर्शन विशेष आधार वाला होने से विशेष रूप रहता है और व्याप्ति सामान्य रूप होती है। विशेष : उस उदाहरण में भी तद्विप्रतिपत्ति अर्थात् सामान्य व्याप्ति में विवाद होने पर यह अर्थ लेना चाहिए। अब तृतीय विकल्प-व्याप्ति का स्मरण करने के लिए भी उदाहरण का प्रयोग आवश्यक है, इस विषय में दूषण देते हुए कहते हैं - नापि व्याप्तिस्मरणार्थं तथाविध हेतुप्रयोगादेव तत्स्मृतेः॥ 37 // सूत्रान्वय : न = नहीं, अपि = भी, व्याप्तिस्मरणार्थं = व्याप्ति का स्मरण करने के लिए, तथाविध = साध्य के अविनाभावी, हेतुप्रयोगात् = हेतु के प्रयोग से, एव = ही, तत् = उस (व्याप्ति का), स्मृतेः = स्मरण हो जाने से। सूत्रार्थ : व्याप्ति का स्मरण कराने के लिए भी उदाहरण की आवश्यकता नहीं है। उसका (व्याप्ति) स्मरण तो साध्य के अविनाभावी हेतु के प्रयोग से ही हो जाता है। संस्कृतार्थ : ननु व्याप्तिस्मरणार्थम् उदाहरणप्रयोगस्य समीचीनत्वमस्त्येवेति चेन्न साध्याविनाभावत्वापन्नस्य हेतोः प्रयोगादेव व्याप्तिस्मरणसंसिद्धेः / टीकार्थ : कोई कहता है कि व्याप्ति का स्मरण कराने के लिए उदाहरण का प्रयोग समीचीन है ही इस प्रकार कहना ठीक नहीं, क्योंकि साध्य के अविनाभावीपने को प्राप्त हेतु के प्रयोग से ही व्याप्ति स्मरण की समीचीन सिद्ध हो जाती है। विशेष : जिसने साध्य के साथ साधन का सम्बन्ध ग्रहण किया है। . 80