________________ निश्चित हो जाता है। 228. उदाहरण कैसा होता है ? उदाहरण एक व्यक्ति रूप होता है, वह सर्वदेश सर्वकालवर्ती व्याप्ति का ज्ञान कैसे करा सकता है। 229. अविनाभाव का निश्चय कराने के लिए यदि उदाहरण का प्रयोग किया जाए तो क्या दोष आयेगा ? अनवस्था दोष प्राप्त होगा, अन्य व्यक्तियों में व्याप्ति के ज्ञान कराने के लिए अन्य उदाहरण भी व्यक्ति रूप होगा। अतः सर्वदेश काल के उपसंहार से वह भी व्याप्ति का निश्चय कराने के लिए अशक्य होगा। इस प्रकार अन्य-अन्य उदाहरणों की अपेक्षा करने पर अनवस्था दोष प्राप्त होगा। अतः अविनाभाव के निश्चय के लिए भी उदाहरण की आवश्यकता नहीं है। आचार्य भगवन् इसी बात को सूत्र द्वारा प्रकट करते हैं - व्यक्तिरूपं च निदर्शनं सामान्येन तु व्याप्तिस्तत्रापि तद्विप्रतिपत्ता-वनवस्थानं स्याद् दृष्टान्तान्तरापेक्षाणात्॥ 36 // सूत्रान्वय : व्यक्तिरूपं = व्यक्तिरूप, च = और, निदर्शनं = उदाहरण, तु = परन्तु, व्याप्ति : = व्याप्ति, सामान्येन = सामान्य से, तत्रापि = उस उदाहरण में भी, तद्विप्रतिपत्तौ = उसमें विवाद होने पर, अनवस्थानम् = अनवस्थादोष, स्यात् = होगा, दृष्टान्तान्तर = अन्य दृष्टान्त की, अपेक्षणात् = अपेक्षा से। सूत्रार्थ : निदर्शन (उदाहरण) व्यक्ति रूप होता है और व्याप्ति सामान्य रूप से सर्वदेश काल की उपसंहार वाली होती है। अतः उस उदाहरण में भी विवाद होने पर अन्य दृष्टान्त की अपेक्षा पड़ने से अनवस्था दोष प्राप्त होगा। संस्कृतार्थ : दृष्टान्तो विशेषरूप: व्याप्ति च सामान्यरूपा भवति / अतः उदाहरणेऽपि सामान्यव्याप्ति सति तन्निश्चयार्थम् उदाहरणान्तरापेक्षणात् 7.9