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________________ 227. इस सूत्र में तीन विकल्पों में से कौन से विकल्प का समाधान दिया है ? प्रथम विकल्प साध्य का ज्ञान कराने के लिए उदाहरण का प्रयोग आवश्यक है इस विकल्प का निराकरण किया है। साध्य के साथ हेतु का अविनाभाव निश्चित कराने के लिए उदाहरण की आवश्यकता के प्रदर्शन का खण्डन - तदविनाभावनिश्चयार्थं वा विपक्षे बाधकप्रमाणबलादेव तत्सिद्धेः // 35 // सूत्रान्वय : तत् = वह उदाहरण, अविनाभावनिश्चयार्थं = अविनाभाव के निश्चय के लिए, वा = क्योंकि, विपक्षे = विपक्ष में, बाधकप्रमाणबलात् = बाधक प्रमाण के बल से, एव = ही, तत् = अविनाभाव, सिद्धेः = सिद्ध हो जाता है। नोट: सूत्र का अर्थ करते समय तत् और न इन दो पदों की अनुवृत्ति करना चाहिए। सूत्रार्थ : वह उदाहरण अविनाभाव के निश्चय के लिए भी कारण नहीं है क्योंकि विपक्ष में बाधक प्रमाण से ही अविनाभाव सिद्ध हो जाता है। विशेष : तत् और न इन दो पदों की अनुवृत्ति करने से सूत्र का अर्थ इस प्रकार है - वह उदाहरण उस साध्य के साथ अविनाभाव सम्बन्ध का निश्चय करने के लिए भी कारण नहीं है, क्योंकि विपक्ष में बाधक प्रमाण के बल से ही उसकी सिद्धि हो जाती है अर्थात् अविनाभाव का निश्चय हो जाता है। संस्कृतार्थ : साध्येन सह हेतोरविनाभावनिश्चयार्थमुदाहरण प्रयोगः आवश्यक इति चेन्न विपक्षे बाधकप्रमाणबलादेव तदविनाभाव निश्चय सिद्धः। टीकार्थ : कोई कहता है कि व्याप्ति का स्मरण करने के लिए उदाहरण का प्रयोग समीचीन है ही। इस प्रकार कहना ठीक नहीं है क्योंकि विपक्ष में बाधक प्रमाण के बल से ही साध्य के साथ हेतु का अविनाभाव 78
SR No.007147
Book TitleParikshamukham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyanandi Aacharya, Vivekanandsagar, Sandip
PublisherAnekant Gyanmandir Shodh Samsthan
Publication Year2011
Total Pages22
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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