________________ हेतु के असिद्ध आदि दोषों का परिहार करके अपने साध्य के साधन करने की सामर्थ्य के प्रकटीकरण में समर्थ वचन को समर्थन कहते हैं। 220. कौन पक्ष का प्रयोग नहीं करता ? अपितु करता ही है। क्या करके ? हेतु का कथन करके ही, कथन न करके नहीं, यह अर्थ है। 221. सांख्य अनुमान के कितने अंग मानते हैं ? पक्ष, हेतु और दृष्टान्त अनुमान के तीन अवयव मानते हैं। 222. मीमांसक अनुमान के कितने अंग मानते हैं ? प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण और उपनय के भेद से अनुमान के चार अवयव मानते हैं। 223. योग अनुमान के कितने अंग मानते हैं ? प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण, उपनय और निगमन के भेद से अनुमान के पाँच अवयव मानते हैं। उपरोक्त मतों का निराकरण करते हुए स्वमत सिद्ध दो अवयव ही दिखलाते हुए कहते हैं - एतद्वयमेवानुमानाङ्गनोदाहरणम्॥33॥ सूत्रान्वय : एतद् = ये, द्वयम् = दोनों (पक्ष और हेतु), एव = ही, अनुमान = अनुमान के, अंगं = अंग (अवयव), न = नहीं, उदाहरणम् = उदाहरण। सूत्रार्थ : ये दोनों ही (पक्ष और हेतु) अनुमान के अंग हैं, उदाहरण नहीं। संस्कृतार्थ : पक्ष, हेतुश्चेति द्वितयमेवानुमानांगं नोदाहरणादिकम्। टीकार्थ : पक्ष और हेतु इस प्रकार दो ही अनुमान के अंग हैं। उदाहरण आदि नहीं। विशेष : पक्ष और हेतु ये दोनों ही अनुमान के अंग हैं, अतिरिक्त नहीं यह सूत्र के पूर्वार्ध का अर्थ है। 76