________________ क्योंकि असमर्थित हेतु नहीं हो सकता। 215. पक्ष के प्रयोग के अभाव में हेतु की प्रवृत्ति कहाँ होगी ? इसलिए कार्य, स्वभाव और अनुपलम्भ के भेद से तथा पक्ष धर्मत्वादि के भेद से 3 प्रकार का हेतु कहकर समर्थन करने वाले बौद्ध को पक्ष का प्रयोग स्वीकार करना ही चाहिए। पक्ष के प्रयोग की आवश्यकता की पुष्टि - को वा त्रिधा हेतुमुक्त्वा समर्थयमानो न पक्षयति॥32॥ सूत्रान्वय : कः = कौन, वा = निश्चय अर्थ में, त्रिधा = तीन प्रकार के, हेतुम् = हेतु को, उक्त्वा = कह करके, समर्थयमानः = समर्थन करता हुआ, न = नहीं, पक्षयति = पक्ष प्रयोग करें। सूत्रार्थ : ऐसा कौन है जो कि तीन प्रकार के हेतु को कह करके उसका समर्थन करता हुआ भी पक्ष प्रयोग न करे। __ संस्कृतार्थ : को वा वादि प्रतिवादी त्रिविधं हेतुं स्वीकृत्य तत्समर्थनं च कुर्वाणः पक्षवचनं न स्वीकरोति ? अपि तु स्वीकरोत्येव। -- टीकार्थ : ऐसा कौन वादि या प्रतिवादी पुरुष है (लौकिक या परीक्षक) जो तीन प्रकार के हेतु को कहकर उसका समर्थन करता हुआ उस हेतु को नहीं मानेगा ? अपितु सभी स्वीकार करेंगे ही। 216. कः पद का क्या अर्थ है ? कौन ऐसा वादी या प्रतिवादी पुरुष है। 217. वा शब्द किस अर्थ में है ? वा शब्द निश्चय के अर्थ में है। 218. सूत्र में उक्त्वा क्रिया पद को क्यों रखा ? यह समर्थन हेतु प्रयोग के काल में बौद्धों ने स्वयं अंगीकार किया है, इसलिए सूत्र में उक्त्वा यह पद कहा है। . 219. समर्थन किसे कहते हैं ?. . . . . . . . 75