________________ से सिद्ध होते हैं और उसी प्रकार शब्द परिणामी है किया जाने वाला होने से (कृतक होने से) इस प्रकार प्रमाण विकल्प सिद्ध धर्मी का उदाहरण है क्योंकि इसमें धर्मी शब्द उभय (प्रमाण विकल्प) सिद्ध है क्योंकि वही शब्द (पक्ष) वर्तमान काल वाला तो प्रत्यक्ष प्रमाण से सिद्ध है और भूत तथा भविष्यत् शब्द विकल्प सिद्ध हैं। 208. अनुमान का प्रयोग कब निरर्थक है ? सर्वदर्शी के अनियत दिग्देश कालवर्ती शब्दों के निश्चय होने पर भी उसके लिए (सर्वज्ञ) अनुमान का प्रयोग निरर्थक है। अनुमान प्रयोग काल की अपेक्षा से धर्म विशिष्ट धर्मी के साध्यपने का कथन करके व्याप्ति काल की अपेक्षा साध्य नियम को दिखलाते हैं - - व्याप्तौ तु साध्यं धर्म एव॥28॥ सूत्रान्वय : व्याप्तौ = व्याप्तिकाल में, तु = परन्तु, साध्यं = साध्य, धर्म = धर्म, एव = ही। सूत्रार्थ : व्याप्तिकाल में तो धर्म ही साध्य होता है। संस्कृतार्थ : व्याप्तिकालापेक्षया साध्यं धर्म एव भवति, न तु साध्य विशिष्टो धर्मीति भावः। टीकार्थ : व्याप्ति काल की अपेक्षा से धर्म ही साध्य होता है, परन्तु धर्म विशिष्ट धर्मी नहीं। विशेष : जहाँ-जहाँ धुआँ होता है, वहाँ-वहाँ अग्नि होती है, इस प्रकार व्याप्ति होने पर प्रयोग काल में धर्म ही साध्य होता है, व्याप्ति के समय धर्मी साध्य नहीं होता है। अग्नि ही साध्य होती है, अग्नि विशिष्ट पर्वत नहीं। शेष सुगम है। धर्मी के भी साध्य होने पर क्या दोष है - अन्यथा तदघटनात्॥29॥ सूत्रान्वय : अन्यथा = अन्यथा, तत् = वह व्याप्ति अघटनात् = घटित नहीं होने से। 72