________________ अब विकल्प सिद्ध धर्मी का उदाहरण - अस्ति सर्वज्ञो, नास्ति खरविषाणम्॥25॥ सूत्रान्वय : अस्ति = है, सर्वज्ञः = सर्वज्ञ, नास्ति = नहीं है, खर = गधे के, विषाणम् = सींग। सूत्रार्थ : सर्वज्ञ है, गधे के सींग नहीं हैं। संस्कृतार्थ : सर्वज्ञोऽस्ति सुनिश्चितासम्भवबाधकप्रमाणत्वात् / खरविषाणं नास्ति अनुपलब्धेः। टीकार्थ : सर्वज्ञ (आप्त केवली भगवान्) है; सुनिश्चित असम्भव बाधक प्रमाणत्व होने से गधे के सींग नहीं हैं, यहाँ गधे के सींग विकल्प सिद्ध धर्मी हैं, उनकी असत्ता साध्य है। 203. विकल्प सिद्ध धर्मी के कितने रूप हो सकते हैं ? विकल्पसिद्ध धर्मी के 2 रूप हो सकते हैं / सत्तारूप भी और असत्ता रूप भी। 204. इसका उदाहरण क्या है ? : .. सर्वज्ञ है ऐसे प्रतिज्ञा रूप वाक्य में सत्ता साध्य है। गधे के सींग नहीं हैं ऐसे प्रतिज्ञा रूप वाक्य में असत्ता साध्य है। . . . . 205. पक्ष या धर्मी किसे कहते हैं ? / जिसमें साध्य रहता है, उसे पक्ष या धर्मी कहते हैं। .. .... इस समय प्रमाणसिद्ध और उभयसिद्ध धर्मी में साध्य क्या है ? ऐसी आशंका होने पर कहते हैं - .... 'प्रमाणोभयसिद्धे तु साध्यधर्म विशिष्टता साध्यः॥26॥ सूत्रान्वय : प्रमाणसिद्धे = प्रमाणसिद्ध में, उभयसिद्धे प्रमाण विकल्प सिद्ध, तु = और, साध्य = साध्य (पक्ष); धर्म विशिष्टता = धर्म से युक्त धर्मी। सूत्रार्थ : प्रमाणसिद्ध धर्मी में और प्रमाणं विकल्प सिद्ध धर्मी में धर्म सहित धर्मी साध्य होता है।