________________ 196. अपने पक्ष को समझाने की इच्छा किसे होती है ? अपने पक्ष को समझाने की इच्छा वक्ता को ही होती है। 197. पक्ष को समझाने के लिए उदा. कौन सा दिया है ? ___ असिद्धवत् यह उदाहरण व्यतिरेक मुख से दिया गया है। इष्ट विशेषणवादी की अपेक्षा होने का कारण - प्रत्यायनाय हीच्छा वक्तुरेव // 20 // सूत्रान्वय : प्रत्यायनाय = दूसरे को समझाने के लिए, हि = निश्चय से, इच्छा = अभिलाषा, वक्तुः = वक्ता की, एव = ही। सूत्रार्थ : क्योंकि दूसरे को समझाने के लिए इच्छा वक्ता को ही होती है। संस्कृतार्थ : साध्यप्रज्ञापनविषयिणी इच्छा वादिन एव भवति न तु प्रतिवादिनः। अतः साध्ये इष्टविशेषणं वादिनः अपेक्षातः एव विद्यते।। टीकार्थ : साध्य को सिद्ध (दिखाने के लिए) करने की इच्छा वादी को ही होती है, परन्तु प्रतिवादी को नहीं। इसलिए साध्य में इष्ट विशेषण वादी की अपेक्षा से ही है। अर्थात् दूसरों को प्रतिबोधित करने की इच्छा वक्ता को ही होती है। 198. इष्ट किसे कहते हैं ? | इच्छा का विषयभूत पदार्थ इष्ट कहलाता है। 199. विशेषण किसे कहते हैं ? जो किसी दूसरे शब्द की विशेषता प्रकट करता है। साध्य धर्म होता है अथवा विशिष्ट धर्मी ऐसा होने पर उसका भेद दिखाते हैं - साध्यं धर्मः क्वचित् तद्विशिष्टो वा धर्मी॥21॥ सूत्रान्वय : साध्यं = साध्य, धर्मः = धर्म, क्वचित् = कहीं पर, तत् = उससे, विशिष्ट = विशेषण से युक्त, वा = और, धर्मी = धर्मी। सूत्रार्थ : कहीं पर धर्म साध्य होता है और कहीं पर धर्म विशिष्ट 67