________________ कृतिका नक्षत्र का उदय और रोहिणी नक्षत्र का उदयादि पूर्वोत्तरचारी कहलाते हैं। 178. कार्य-कारण कौन कहलाते हैं ? धूम और अग्निादि कार्य-कारण कहलाते हैं। अविनाभाव का निर्णय (व्याप्ति ज्ञान का निर्णय) किस प्रमाण से होता है - तर्कात्तन्निर्णयः॥15॥ सूत्रान्वय : तर्कात् = तर्क प्रमाण से, तत् = उस अविनाभाव का, निर्णयः = निश्चय। सूत्रार्थ : अविनाभाव सम्बन्ध का निश्चित (निर्णय) तर्क प्रमाण से होता है। संस्कृतार्थ : स हि अविनाभावस्तर्कप्रमाणादेव निश्चीयते। टीकार्थ : क्योंकि वह अविनाभाव तर्क प्रमाण से ही निश्चित होता 179. यह सूत्र क्यों रचा गया है ? अविनाभाव सम्बन्ध का निर्णय प्रत्यक्षादि प्रमाणों से नहीं होता, तर्क प्रमाण से ही होता है एवं अन्य मतावलम्बियों ने तर्क को प्रमाण नहीं माना है। अतः उनके द्वारा मान्य प्रमाण संख्या मिथ्या ठहरती है, क्योंकि प्रत्यक्ष, अनुमान, आगम, उपमान, अर्थापत्ति तथा अभाव इन किसी भी प्रमाण से व्याप्ति का निर्णय नहीं हो सकता है। इसलिए सभी को तर्क प्रमाण मानना ही चाहिए। (तर्क ही निर्णायक होता है) साधन से होने वाले साध्य के ज्ञान को अनुमान कहते हैं, ऐसा प्रतिपादन तो हो चुका किन्तु साध्य किसे कहते हैं यह ज्ञात न हो सका। अब साध्य का लक्षण कहते हैं - इष्टमबाधितमसिद्धं साध्यम्॥16॥ सूत्रान्वय : इष्टम् = इष्ट (अभिप्रेत), अबाधितम् = अबाधित को, असिद्धं = असिद्ध को, साध्यम् = साध्य (कहते हैं)। .