________________ 167. प्रमाणात् विज्ञानम् अनुमानम् प्रमाण से जो ज्ञान होता है उसे अनुमान कहते हैं, इतना मात्र लक्षण मानने पर क्या दोष आता है ? अनुमेय आगम आदि से व्यभिचार आता है। इसलिए उसके निवारणार्थ साध्य का विज्ञान अनुमान है ऐसा कहा है तथापि प्रत्यक्ष से भी व्यभिचार न आये इसलिए साधन से साध्य के ज्ञान को अनुमान कहा है। साधन का लक्षण कहते हैं - साध्याविनाभावित्वेन निश्चितो हेतुः॥11॥ सूत्रान्वय : साध्य = साध्य के साथ, अविनाभावित्वेन = अविनाभावी होने से, निश्चितः = निश्चित होता है। हेतुः = हेतु। सूत्रार्थ : साध्य के साथ अविनाभाव सम्बन्ध होने के कारण हेतु निश्चित होता है। संस्कृतार्थ : निश्चितसाध्यान्यथानुपपत्तिकं साधनम् / यस्य साध्याभावासम्भवनियमरूपा व्याप्तविनाभावाद्यपरपर्यायः / साध्यान्यथानुपत्तिस्तांख्येन प्रमाणेन निर्णीता तत्साधनमित्यर्थः॥ ___टीकार्थ : जिसकी साध्य के साथ अन्यथानुपपत्ति (अविनाभाव) निश्चित है, उसे साधन कहते हैं। जिसकी साध्य के अभाव में नहीं होने रूप व्याप्ति, अविनाभाव आदि नामों वाली साध्यान्यथानुपपत्ति साध्य के होने पर ही होना और साध्य के अभाव में नहीं होना तर्क नाम के प्रमाण द्वारा निर्णीत है, वह साधन है, यह अर्थ है। 168. साधन किसे कहते हैं ? अन्यथानुपपत्ति मात्र जिसका लक्षण है उसे लिंग साधन कहते हैं। 169. अविनाभाव किसे कहते हैं ? जो जिसके बिना न हो उसे अविनाभाव कहते हैं। अब अविनाभाव के भेदों को दिखलाते हुए कहते हैं - सहक्रमभवनियमोऽविनाभावः // 12 // सूत्रान्वय : सहभाव = एक साथ होना, क्रमभव = क्रम से होना, 59