________________ तथोक्ता / या धारणाख्यसंस्कार प्राकट्यकारणिका तदित्युल्लेखिनी च जायते सा स्मृतिः निगद्यते। टीकार्थ : संस्कार का उद्बोध अर्थात् प्रकटपना वह है कारण जिसका वह स्मृति कही जाती है जो धारणा ज्ञानरूप संस्कार की प्रकटता से वह (तत्)इस आकार अर्थात् उल्लेख वाली है वह स्मृति कही जाती है। नोट : भवति क्रिया पद शेष है जिसका अध्याहार ऊपर से कर लेना चाहिए। 152. स्मृति किसे कहते हैं। वह इस प्रकार के आकार वाली स्मृति होती है। . 152. स्मृति का कारण क्या है ? धारणा रूप ज्ञान की प्रगटता (वर्तमान में किसी का प्रत्यक्ष)। स्मृति का दृष्टांत कहते हैं - स देवदत्तो यथा॥4॥ सूत्रान्वय : सः = वह, देवदत्तः = देवदत्त, यथा = जैसे। सूत्रार्थ : जैसे कि वह देवदत्त। 153. सूत्र का अभिप्राय रूप अर्थ क्या है ? किसी व्यक्ति ने पहले कभी देवदत्त नामक पुरुष को देखा और उसकी धारणा कर ली। पीछे वह धारणारूप संस्कार प्रकट हुआ और उसे याद आया कि वह देवदत्त / इस प्रकार उसके स्मरणरूप ज्ञान को स्मृति कहते हैं। अब क्रमप्राप्त प्रत्यभिज्ञान का स्वरूप कहते हैंदर्शनस्मरणकारणकं सङ्कलनं प्रत्यभिज्ञानं, तदेवेदं तत्सदृशं तद्विलक्षणं तत्प्रतियोगीत्यादि॥5॥ * सूत्रान्वय : दर्शन = दर्शन, स्मरण = स्मरण, कारणकं = कारण, सङ्कलनम् = जोड़रूप, प्रत्यभिज्ञानं = प्रत्यभिज्ञानं, तत् = वह, सदृशं = समान, 53