________________ नोट : सूत्र में आदि शब्द से परोक्ष का ग्रहण करना है ‘प्रत्यक्षादि निमित्तं यस्य' प्रत्यक्षादि है निमित्त जिसके ऐसा विग्रह है ते भेदाः यस्य वे स्मृति आदिक जिसके भेद हैं। ऐसा विग्रह है और स्मृति आदि में द्वन्द्व समास है। संस्कृतार्थ : संस्कारस्य उद्बोधः (प्राकट्यं) सः निबन्धनं यस्याः सा तथोक्ता। या धारणाख्यसंस्कारप्राकट्यकारणिका तदित्युल्लेखिनी च जायते सा स्मृतिः निगद्यते। टीकार्थ : प्रत्यक्षादि 6 परोक्षज्ञान के कारण हैं तथा परोक्ष के स्मृति, प्रत्यभिज्ञान, तर्क, अनुमान, आगम ये 5 भेद हैं। 149. परोक्ष ज्ञान का कारण क्या है ? * . प्रत्यक्षादि (आदि से परोक्ष का भी ग्रहण है।) 150. सूत्र का स्पष्ट अर्थ क्या है ? स्मृति प्रत्यक्ष पूर्वक होती है, प्रत्यभिज्ञान प्रत्यक्ष और स्मरण-पूर्वक होता है, प्रत्यक्ष-स्मरण और प्रत्यभिज्ञान पूर्वक तर्क होता है, प्रत्यक्ष, स्मरण, प्रत्यभिज्ञान और तर्क पूर्वक अनुमान होता है, श्रावण प्रत्यक्ष, स्मृति और संकेत पूर्वक आगम ज्ञान होता है। 151. स्मृति आदि को परोक्ष क्यों कहा है ? . स्मृति आदि पाँच प्रमाणों में दूसरे पूर्व प्रमाणों की आवश्यकता होती है, इसलिए इन्हें, परोक्ष कहते हैं। अब क्रम प्राप्त स्मृति प्रमाण के लक्षण का कारण दिखलाते हैं - संस्कारोबोध निबन्धना तदित्याकारा स्मृतिः॥3॥ ..' सूत्रान्वय : संस्कार = (धारण, ज्ञानरूप) संस्कार की, उद्बोध = प्रकटता, निबंधना = कारण से, तत् = वह, इति = इस प्रकार, आकार = आकार, स्मृति = स्मरण। सूत्रार्थ : (धारणा रूप) संस्कार की प्रकटता जिसमें कारण है ऐसे (तत्) वह इस प्रकार के आकार वाले ज्ञान को स्मृति कहते हैं। संस्कृतार्थ : संस्कारस्य उद्बोधः (प्राकटयं) सः निबन्धनं यस्याः सा 52