________________ साथ अन्वय-व्यतिरेक सम्बन्ध नहीं है जो जिसके साथ अन्वय व्यतिरेक को धारण नहीं करता है, वह तत्कारणक नहीं है। जैसे केशों में होने वाला मच्छर का ज्ञान अर्थ के साथ अन्वय व्यतिरेक को धारण नहीं करता। इसलिए पदार्थ ज्ञान का कारण नहीं होता, यह अर्थ है और आगे प्रकाश ज्ञान का कारण नहीं है, क्योंकि ज्ञान का प्रकाश के साथ अन्वय व्यतिरेक सम्बन्ध नहीं है। जो कारण जिस कार्य के साथ अन्वय व्यतिरेक को धारण नहीं करता वह तत्कारणक (कारण वाला) भी नहीं है जैसे-रात्रि में विचरण करने वाले बिल्ली, उल्लू आदि के ज्ञान में प्रकाश कारण नहीं है। उसी प्रकार यह ज्ञान है इसलिए प्रकाश कारण वाला नहीं होता। 123. अन्वय किसे कहते हैं ? कारण के होने पर कार्य का होना अन्वय कहलाता है। 124. व्यतिरेक किसे कहते हैं ? कारण के अभाव में कार्य के अभाव को व्यतिरेक कहते हैं। 125. पदार्थ और प्रकाश ज्ञान के कारण क्यों नहीं हैं ? यदि पदार्थ को ही ज्ञान का कारण माना जाए तो हवा में सिर पर उड़ते हुए बालों में मच्छर का ज्ञान होता है, इस प्रकार का दोष आता है और यदि प्रकाश को ही ज्ञान का कारण माना जाए तो रात्रि में चलने वाले उल्लू, चमगादड़ आदि को भी प्रकाश में ज्ञान होना चाहिए पर नहीं होता। पदार्थ के अभाव में भी ज्ञान होता है और प्रकाश के सद्भाव में भी ज्ञान नहीं होता। इस प्रकार अन्वय व्यतिरेक नहीं बनता। 126. नक्तञ्चर किसे कहते हैं ? रात्रि में विचरण करने वाले उल्लू, चमगादड़, मार्जार आदि को नक्तञ्चर कहते हैं। बौद्धों की मान्यता है कि जो ज्ञान जिस पदार्थ से उत्पन्न होता है ज्ञान उसी पदार्थ के आकार का होता है उसी का ग्राहक होता है अर्थात् जानता है। जैन लोग तो ज्ञान की अर्थ से उत्पत्ति मानते नहीं हैं अतः उनके यहाँ ज्ञान और ज्ञेय में ग्राह्य ग्राहकपना कैसे बनेगा ? ऐसी बौद्धों की आशंका होने पर आचार्य 43