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________________ ऐसा मानने पर रात्रि में कुछ भी ज्ञान नहीं होगा। यह भी नहीं कह सकेंगे कि यहाँ अंधकार है। 121. ज्ञेय किसे कहते हैं ? जानने योग्य वस्तु को ज्ञेय अर्थात् ज्ञान का विषय कहते हैं। 122. अंधकार का दृष्टान्त क्यों दिया है ? क्योंकि अंधकार ज्ञान का विषय है यह सभी जानते हैं और कहते भी हैं कि यहाँ अंधकार है परन्तु वह ज्ञान का कारण नहीं प्रत्युतज्ञान का प्रतिबंधक है क्योंकि अंधकार में रखे हुए पदार्थों का ज्ञान नहीं होता। अब सूत्रोक्त इसी साध्य को दूसरी युक्तियों से सिद्ध करते हैंतदन्वयव्यतिरेकानुविधानाभावाच्चकेशोण्डुकज्ञानवन्नक्तंचर ज्ञानवच्च॥7॥ सूत्रान्वय : तत् = उन (पदार्थ और प्रकाश का), अन्वय = अन्वय, व्यतिरेक = व्यतिरेक, अनुविधान = के अनुसार कार्य, अभावात् = अभाव होने से, केश = केशों में उण्डुक = मच्छर, ज्ञानवत् = ज्ञान की तरह, नक्तंचर = रात्रि में चलने वाले (उल्लू, चमगादड़) के, च = और। सूत्रार्थ : अर्थ और प्रकाश ज्ञान के कारण नहीं हैं, क्योंकि ज्ञान का अर्थ और प्रकाश के साथ अन्वयव्यतिरेक रूप सम्बन्ध का अभाव है जैसे केशों में होने वाले मच्छर ज्ञान के साथ तथा नक्तंचर उल्लू आदि को रात्रि में होने वाले ज्ञान के साथ। संस्कृतार्थ : ज्ञानं अर्थकारणकं न भवति अर्थान्वयव्यतिरेकानु विधानाभावात्। यद्यस्यान्वयव्यतिरेकौ नानुविद्धाति, न तत् तत्कारणकं, यथा केशोण्डुकज्ञानम् / नानुविदधते च ज्ञानमर्थान्वयव्यतिरेकौ तस्मादर्थकारणकं न भवतीत्यर्थः / 2 किञ्च ज्ञानं न प्रकाशकारणकं, प्रकाशान्वयव्यतिरेकानुविधानाभावात् / यद्यस्यान्वयव्यतिरेकौ नानुविद्धाति न तत् तत्कारणकं, यथा नक्तञ्चराणां मार्जारादीनां ज्ञानम् / तथा चेदं ज्ञानं, तस्मात्प्रकाशकारणकं न भवतीति भावः / टीकार्थ : पदार्थ ज्ञान का कारण नहीं है। क्योंकि ज्ञान का पदार्थ के
SR No.007147
Book TitleParikshamukham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyanandi Aacharya, Vivekanandsagar, Sandip
PublisherAnekant Gyanmandir Shodh Samsthan
Publication Year2011
Total Pages22
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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