________________ मनसश्च साहाय्येन समुत्पद्यते तत्सांव्यवहारिकप्रत्यक्षं प्रोच्यते / तद्यथा - समीचीनः प्रवृत्तिनिवृत्तिरूपो व्यवहारः संव्यवहारः तत्र भवं प्रत्यक्षं सांव्यवहारिक प्रत्यक्षमिति व्युत्पत्त्यर्थः। टीकार्थ : जो ज्ञान एक देश निर्मल (थोड़ा निर्मल) होता है तथा इन्द्रिय और मन की सहायता से उत्पन्न होता है, वह सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष कहा जाता है। समीचीन प्रवृत्ति निवृत्ति रूप व्यवहार को सांव्यवहार कहते हैं, उसमें होने वाला प्रत्यक्ष सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष है - यह व्युत्पत्ति है। 113. वह सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष कैसा है ? ___ इन्द्रिय और अनिन्द्रिय निमित्तक है। 114. सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष के कारण कौन-कौन से हैं। इन्द्रिय और मन ये दोनों भी जिसके निमित्त हैं और पृथक्-पृथक् भी कारण है वह सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष है। . 115. इन्द्रिय प्रत्यक्ष किसे कहते हैं ? इन्द्रियों की प्रधानता और मन की सहायता से उत्पन्न होने वाले ज्ञान को इन्द्रिय प्रत्यक्ष कहते हैं। 116. अनिन्द्रिय प्रत्यक्ष किसे कहते हैं। ज्ञानावरण और वीर्यान्तराय कर्म के विशिष्ट क्षयोपशम रूप विशुद्धि की अपेक्षा से सहित केवल मन से उत्पन्न होने वाले ज्ञान को अनिन्द्रिय प्रत्यक्ष कहते हैं। 117. सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष का दूसरा नाम क्या है ? मतिज्ञान। नैयायिक लोग प्रत्यक्ष के उत्पादक इन्द्रिय और अनिन्द्रिय के समान अर्थ (पदार्थ) और प्रकाश (आलोक) को कारण मानते हैं तो उनकी इस धारणा का निराकरण करने के लिए आचार्य कहते हैं / अर्थात् पदार्थ और प्रकाश को ज्ञान के कारणत्व का निषेध - नार्थालोको कारणं परिच्छेद्यत्वात्तमोवत्॥6॥ 40