________________ 103. उपरोक्त सूत्र का सही अर्थज्ञान करने के लिए क्या करना है ? ज्ञानपद की अनुवृत्ति कर लेना चाहिए। 104. उपरोक्त सूत्र कैसा है ? यह सूत्र अनुमान के 5 अवयव प्रयोग रूप है। 105. अनुमान के 5 अवयव कौन-कौन से हैं ? 1. पक्ष, 2. हेतु, 3. दृष्टान्त, 4. उपनय, 5. निगमन। 106. प्रस्तुत सूत्र में पक्ष क्या है ? धर्मी का निर्देश अर्थात् पक्ष है। 107. प्रस्तुत सूत्र में साध्य एवं हेतु क्या है ? ज्ञान की विशदता साध्य एवं प्रत्यक्षपना हेतु है। 108. परोक्ष ज्ञानवत् यह दृष्टान्त क्यों दिया ? अन्य के समक्ष न होने से व्यतिरेक व्याप्ति पूर्वक परोक्ष ज्ञान को व्यतिरेक रूप से बतलाया गया है। अब विशदता का लक्षण कहते हैंप्रतीत्यन्तराव्यवधानेन विशेषवत्तया वा प्रतिभासनं वैशद्यम्॥4॥ सूत्रान्वय : प्रतीति = ज्ञानं, अन्तरा = दूसरे अव्यवधानेन = अंतराल से रहित, विशेषवत्तया = विशेषपने से, वा = और, प्रतिभासनम् = प्रतिभास को, वैशद्यम् = विशदता कहते हैं। सूत्रार्थ : दूसरे ज्ञान के अंतराल से रहित और विशेषता से होने वाले प्रतिभास को विशदता कहते हैं। - संस्कृतार्थ : एकस्याः प्रतीतेरन्या प्रतीतिः प्रतीत्यन्तरं, तेनाव्यवधानं तेन प्रतिभासित्वं वैशद्यं निगद्यते। तथा च ज्ञानान्तर व्यवधानरहितत्वे सति वर्णसंस्थानादिविशेषग्रहणत्वं वैशद्यम्। विशदत्वं, निर्मलत्वं, स्पष्टत्वमिति तु वैशद्यस्यैव नामान्तराणि। टीकार्थ : एक प्रतीति से भिन्न दूसरी प्रतीति को प्रतीत्यन्तर कहते हैं, 38